मुख्यपृष्ठस्तंभ‘राज'नीति  : मालवीय की मिट्टी पलीद

‘राज’नीति  : मालवीय की मिट्टी पलीद

रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू

राजस्थान में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा से चुनाव लड़े महेंद्रजीत सिंह मालवीय की करारी हार के बाद उनकी मिट्टी पलीद हो गई है। महेंद्रजीत सिंह मालवीय कांग्रेस पार्टी में बड़े नेता थे। कई बार विधायक, सांसद व राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके थे। वह कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य भी थे, मगर लोकसभा चुनाव से पूर्व अचानक उन्होंने भाजपा में शामिल होकर अपना विधायक का पद भी छोड़ दिया था। भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी भी बनाया और वह चुनाव भी लड़े। वे भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के अध्यक्ष व विधायक राजकुमार रोत के हाथों बुरी तरह से पराजित हो गए। बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर कांग्रेस ने आप पार्टी से समझौता कर उनके लिए सीट छोड़ दी थी। मालवीय के बागी दौरा से विधानसभा की सदस्यता छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में भी भाजपा का प्रत्याशी बुरी तरह से हार गया। वहां से भी आप पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीत गया है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद मालवीय के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। करारी हार के बाद उनके बड़े आदिवासी नेता होने की छवि भी धूमिल पड़ गई है।
सीकर में लाल सलाम
राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र की महत्वपूर्ण सीकर लोकसभा सीट पर इस बार माकपा के कामरेड अमराराम ने भाजपा से दो बार के सांसद सुमेधानंद सरस्वती को हरा दिया है। सीकर सीट को जाट राजनीति का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस पार्टी ने समझौते के तहत सीकर सीट पर प्रत्याशी नहीं उतार कर माकपा प्रत्याशी अमराराम को समर्थन दिया था। कॉमरेड अमराराम पूर्व में चार बार दातारामगढ़ से विधायक रह चुके हैं तथा माकपा के प्रदेश सचिव हैं। सीकर से माकपा प्रत्याशी का चुनाव जीतना सभी को चौंका दिया है। जब पंजाब में चुनाव नहीं हो रहे थे तो कांग्रेस ने बलराम जाखड़ जैसे दिग्गज नेता को सीकर से चुनाव लड़वाया था और वह चुनाव जीतकर लोकसभा अध्यक्ष बने थे। १९८९ में चौधरी देवीलाल भी सीकर सीट से चुनाव जीत कर ही देश के उप प्रधानमंत्री बने थे। यहां से भाजपा टिकट पर सुभाष महरिया भी कई चुनाव जीतकर केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सीकर सीट पर चुनाव जीतने से माकपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। इससे फिर एक बार पार्टी प्रदेश में अपना खोया जनाधार बढ़ा सकेगी।
किरोड़ी का एलान-ए-जंग
राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा लोकसभा चुनाव परिणाम के कुछ दिनों पहले ही कहने लगे थे कि दौसा सहित कुल ७ सीटों पर यदि भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार जाते हैं तो मैं अपने मंत्री पद से इस्तीफा देखकर आम कार्यकर्ता बनकर पार्टी का कार्य करुंगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सात सीट जीताने की जिम्मेदारी सौंपी थी। किरोड़ीलाल मीणा के प्रभाव वाली दौसा, भरतपुर, धौलपुर-करौली, सवाई-माधोपुर-टोंक सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं। अपनी घोषणा के मुताबिक, किरोड़ीलाल ने इस्तीफा देने की बात कही है। इस्तीफा के बहाने किरोड़ीलाल मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर निशाना साध रहे हैं। मंत्रिमंडल में शामिल करते वक्त किरोड़ीलाल को वरिष्ठता के अनुरूप विभाग नहीं मिलने से अंदर खाने वह मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं। अपने बागी तेवर के लिए पहचान रखने वाले किरोड़ीलाल मीणा लोकसभा चुनाव परिणाम के बहाने मुख्यमंत्री को पद से हटाने की मुहिम चलाने जा रहे हैं। आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि भाजपा की अंदरूनी कलह क्या गुल खिलाती है। किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा स्वीकार होता है या नहीं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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