- साल २०४० तक तीन गुना बढ़ जाएगा
- दुनिया के छह रिसर्चर्स ने कहा, मुसीबत से छुटकारे के लिए तुरंत उठाओ कदम
सामना संवाददाता / मुंबई
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के साथ बढ़ते कचरे का अंबार दिन-ब-दिन आफत बनता जा रहा है। एक नई रिसर्च के अनुसार दुनिया के महासागरों में भारी मात्रा में प्रदूषण है। इस वक्त सागर में १७१ ट्रिलियन से अधिक प्लास्टिक के टुकड़े तैर रहे हैं व वर्ष २०४० तक यह बढ़कर तीन गुना हो जाएगा। यह समुद्री जीव-जंतुओं के लिए घातक बन सकता है। इससे जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र संतुलन बिगड़ने का खतरा मंडराने लगा है। यह रिसर्च जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित हुई है।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने साल १९७९ और साल २०१९ के बीच अटलांटिक, प्रशांत, हिंद महासागर और भूमध्य सागर में लगभग १२,००० जगहों से एकत्रित रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है। इसकी रिपोर्ट हाल में सार्वजनिक की गई है। वैज्ञानिकों की टीम ने वर्ष २००५ के बाद से समुद्र के प्लास्टिक प्रदूषण में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। शोध में दावा किया गया है कि अगर समुद्र में कचरे फेंके जाने पर काबू नहीं पाया गया तो साल २०४० तक यह बढ़कर तीन गुना हो जाएगा। इनका छोटे टुकड़े में परिवर्तन हो रहा है। ये छोटे टुकड़े समुद्री पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक हैं। समुद्री जीवों द्वारा भोजन के लिए इन छोटे टुकड़ों को निगलने की संभावना है।
समुद्री जीवन के लिए हानिकारक
नए शोध से पता चला है कि समुद्र में बिखरे इन प्लास्टिक टुकड़ों का वजन करीब दो मिलियन मीट्रिक टन है। रिपोर्ट के अनुसार समुद्र में प्लास्टिक की कुल मात्रा का आकलन करना एक मुश्किल काम है। समुद्र में तैरने वाला अधिकांश प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक होता है। इस प्लास्टिक का व्यास ५ मिमी से कम है। माइक्रोप्लास्टिक्स के हानिकारक घटक टूट जाते हैं, जो समुद्री जीवन के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। समुद्री जीवन इस तरह के प्लास्टिक को भोजन समझकर खा सकता है। इससे समुद्री जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र संतुलन को खतरा पैदा हो गया है। २०१४ में हुए एक सर्वे में पाया गया कि दुनिया के महासागरों में पांच लाख करोड़ प्लास्टिक के कण हैं। उसके बाद दस साल के अंदर यह संख्या १७० लाख करोड़ हो गई है।