सामना संवाददाता / मुंबई
जानवेला बीमारी कैंसर का नाम सुनते ही लोग कांप उठते हैं। इस बीमारी का इलाज बहुत ही वेदनादायक होता है। हालांकि, लोगों की जीवनशैली और खान-पान में आए बदलाव से यह बीमारी अब और तेजी से फैलने लगी है। आलम यह है कि आज कैंसर के कहर से गरीब देश कराह रहे हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि गरीब देशों में हर १५ में से एक बच्चे की मौत महज इसलिए हो जाती है, क्योंकि उसे सही इलाज नहीं मिल पाता है। इसका मुख्य कारण महंगा इलाज और कुपोषण है। इस अध्ययन में बताया गया है कि आनेवाले दिनों में कैंसर से जूझ रहे ९० फीसदी बच्चे जिंदा ही नहीं बचेंगे।
बच्चों पर इलाज का होता है विपरीत असर
कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथैरेपी, सर्जरी, रेडिएशन थैरेपी के साइड इफेक्ट्स बच्चों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। कीमोथैरेपी शुरू होते ही बच्चों का ब्लड सेल्स काउंट घट जाता है, बाल गिरने लगते हैं, डायरिया और चक्कर आते हैं। रेडिएशन थैरेपी का बच्चे के दिमाग के विकास पर भी बुरा असर पड़ता है, जिससे उसे हाथों और आंखों के कोऑर्डिनेशन, आईक्यू लेवल, पढ़ाई, याददाश्त, एकाग्रता के अलावा व्यवहार से जुड़ी समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं। इसीलिए अगर तीन साल तक के बच्चे को ब्रेन ट्यूमर हो तो डॉक्टर रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल करने से बचते हैं।
१० मिनट में शिकार हो रहा एक बच्चा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में हर साल करीब एक करोड़ लोग कैंसर की वजह से अपनी जान गवां देते हैं, वहीं कैंसर से जूझ रहे दुनिया के २० फीसदी बच्चे अकेले हिंदुस्थान में हैं। इनमें से ४९ फीसदी बच्चों को इलाज ही नहीं मिल पाता है। अधिकतर अस्पतालों में उनके इलाज की व्यवस्था और डॉक्टर ही नहीं हैं। यही वजह है कि जहां अमेरिका में ८० फीसदी बच्चे कैंसर से बचा लिए जाते हैं, वहीं हिंदुस्थान में ७० फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हिंदुस्थान में हर साल लगभग १३ लाख कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का आकलन है कि पांच साल में देश में १२ फीसदी की दर से कैंसर के मरीज बढ़ेंगे। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कम उम्र में कैंसर का शिकार होने की है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों के अनुसार, ५० साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायरॉइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। हिंदुस्थान में ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।