सामना संवाददाता / पटना
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को बिहार उपचुनाव के परिणाम ने गहरा सदमा दिया है। बिहार की ४ सीटों के नतीजों ने ‘पीके’ को सोचने को मजबूर कर दिया है कि अब उनकी आगे की रणनीति क्या होगी? प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज की तरारी, रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज में बुरी तरह से हार हुई है। हार भी ऐसी-वैसी नहीं, अगर पीके जल्दी भुलाने की कोशिश भी करेंगे तो भुलाया नहीं पाएंगे। चुनाव से ठीक पहले चारों सीट पर जीत का दावा करनेवाले पीके आए तो थे राजनीति में ‘एटम बम’ फोड़ने, लेकिन उनसे ‘फुस्की बम’ भी नहीं फूटा। प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी बनाने से पहले पूरे बिहार में हजारों किलोमीटर पदयात्रा की थी। बिहार के हर ब्लॉक में लोगों से संवाद किया। बिहार विधानसभा की ४ सीटों पर उपचुनाव की घोषणा से ठीक पहले जन सुराज पार्टी बनाई, लेकिन बिहार की कास्ट पॉलिटिक्स ने प्रशांत किशोर की साफ-सुथरी राजनीति की हवा निकाल दी। राजनीति में हार-जीत तो होती रहती है, लेकिन जिस तरह से जन सुराज पार्टी की हार हुई है वह हैरान करनेवाला है। प्रशांत किशोर की पार्टी के प्रत्याशी चार सीटों में से तीन सीटों पर तीसरे नंबर पर और एक सीट पर चौथे नंबर की पार्टी बन गई। तरारी विधानसभा सीट पर प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार को मात्र ५ हजार ६२२ वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर खिसक गए। इमामगंज सीट पर भी जन सुराज तीसरे नंबर की पार्टी रही।