अजय भट्टाचार्य
इंडिया गठबंधन के तहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। नीतिश कुमार कुर्मी बहुल मिर्जापुर या प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं। समाजवादियों का मानना है कि नीतिश कुमार के उप्र से लड़ने पर उनके सजातीय कुर्मी वोट पूरे प्रदेश में इंडिया गठबंधन के साथ आ सकता है। नीतिश के उप्र से लोकसभा चुनाव लड़ने पर सपा बिहार में एक सीट पर अपने प्रत्याशी को लड़ाना चाहती है। इंडिया के घटक दल कांग्रेस के लिए उप्र में गठबंधन के तहत कुछ सीटें दी जाएंगी, तो बदले में सपा भी राजस्थान और हरियाणा में दो-दो सीटों पर अपना दावा प्रस्तुत करेगी। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है तो हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस है। सपा नेताओं का तर्क है कि राजस्थान के अलवर, जयपुर देहात, सीकर और भरतपुर लोकसभा क्षेत्रों में यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। इसलिए इनमें से दो सीटों पर सपा के चुनाव चिह्न पर उम्मीदवार उतारे जाने चाहिए। इसी तरह से हरियाणा में यादव बहुल गुड़गांव और रोहतक सीटों पर सपा की नजर है।
३० प्रतिशत कटकी
गुजरात के नौकरशाही हलकों में एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने की संभावना को लेकर टेंशन बढ़ गई है। इस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की कई शिकायतें सामने आई थीं, जिसके कारण कुछ महीने पहले उसका तबादला दूसरे विभाग में कर दिया गया था। आरोपों से पता चलता है कि वह फाइलों पर तभी हस्ताक्षर करता है, जब उसे उसकी कटकी (कमीशन) मिले। इस कटकी का प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से बहुत अधिक ३० प्रतिशत से ज्यादा था। कई हितधारकों ने इस मुद्दे की शिकायत उच्च अधिकारियों से की थी, जिसके परिणामस्वरूप उसका तबादला हो गया। मजा यह है कि भूपेंद्र पटेल सरकार के `जीरो टॉलरेंस नीति’ का पालन करने के दावे के बावजूद अभी तक आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है, जबकि राजनीतिक मोर्चे पर भाजपा डर रही है कि कहीं ३० प्रतिशत कटकी मुद्दा न बन जाए। इसके अलावा गांधीनगर में कुख्यात एस़ के. लंगा मामला सरकार के गले की हड्डी बन रहा था/ है। रिटायर्ड आईएएस एस़ के. लंगा पर गांधीनगर के अतिरिक्त कलेक्टर रहते हुए नियमों की अनदेखी कर कृषि भूमि को गैर कृषि जमीन बनाने का आरोप है। चूंकि लंगा से पूछताछ की जा रही है, इसलिए मंत्रियों, नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। लंगा के कार्यकाल के दौरान हुए भूमि घोटाले में बड़ी मात्रा में पैसे का हेर-फेर हुआ, जिसमें कई बड़ी मछलियों को भी हिस्सा मिला है। लोग उत्सुकता से सोच रहे हैं कि लंगा पूछताछ के दौरान क्या खुलासा कर सकता है। पूछताछ के दौरान उसने क्या कहा, इसे लेकर कई लोगों की नींद उड़ गई है। इन दिनों न्यायिक हिरासत में दिन काट रहा लंगा किस-किस को नंगा करेगा यह देखना बाकी है।
ईडी के ‘खास’ निशाने
विपक्षी नेताओं के अलावा प्रवर्तन निदेशालय की नजर विपक्षी नेताओं के खास लोगों पर है। छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी मामले की जांच के बहाने पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (सीपीसीसी) के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के परिसरों पर छापा मारा। अगले दिन इसी मामले में कृषि विभाग के निदेशक, आईएएस अधिकारी रानू साहू को भी गिरफ्तार किया। अग्रवाल को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। पार्टी में शामिल होने के बावजूद अग्रवाल ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि, कहा जाता है कि वह पिछले कुछ समय से अपने गृह जिले धमतरी से विधानसभा टिकट के लिए प्रयास कर रहे थे। मुख्य रूप से पर्दे के पीछे अपनी `कड़ी मेहनत’ और `प्रबंधन कौशल’ के लिए जाने जाते हैं। १९८० से कांग्रेस में सक्रिय अग्रवाल को २०१३ में सीपीसीसी कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह पिछले १५ वर्षों से रायपुर में हैं। इधर हरियाणा में समालखा (पानीपत) विधायक धर्म सिंह छोकर पर भी ईडी की कोप दृष्टि पड़ी है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का ताजा मामला गुरुग्राम पुलिस द्वारा आरोपितों और साई आइना फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ `धोखाधड़ी और जालसाजी’ के लिए दर्ज एफआईआर के आधार पर बनाया है। उस पर किफायती आवास योजना के तहत १,४९७ घर खरीदारों से वादे के आधार पर लगभग ३६० करोड़ रुपए एकत्र करने का आरोप है। ईडी ने छोकर की चल-अचल संपत्तियां जब्त की हैं। छोकर पूर्व मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)