४५ पदों की भर्ती के लिए निकले विज्ञापन को किया रद्द
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लेटरल एंट्री को लेकर विपक्ष और एनडीए सहयोगियों का दबाव काम कर गया और मोदी सरकार को झुकना पड़ा। लेटरल एंट्री स्कीम को लेकर चौतरफा घिरती जा रही मोदी सरकार ने आखिरकार इस योजना को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। यूपीएससी में बिना परीक्षा पास किए लेटरल एंट्री के जरिए आईएएस के पदो को भरने की योजना पर अब ब्रेक लग चुका है। इस स्कीम में जैसे संयुक्त सचिव, निदेशक और डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों को भरा जाना था। अब इस स्कीम के हालिया विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। कल डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन प्रीति सूदन को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के तहत ४५ पदों की भर्ती के लिए निकले विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है। यह आदेश प्रधानमंत्री के निर्देश पर जारी किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लेटरल स्कीम के जरिए मोदी सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा, प्रशासनिक सुधार आयोग, दलित, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास है। नरेंद्र मोदी, संघ लोक सेवा आयोग की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार की यह योजना, आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है। खड़गे ने दावा किया कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के पद अब आरएसएस के लोगों को मिलेंगे। मोदी सरकार का यह कदम, संविधान विरोधी और आरक्षण विरोधी है। सरकारी महकमों में नौकरियां भरने की बजाय पिछले १० सालों में अकेले पीएसयू में ही भारत सरकार के हिस्सों को बेच-बेचकर ५.१ लाख पद, भाजपा ने खत्म कर दिए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि इस दौरान वैâजुअल और कॉन्ट्रैक्ट भर्ती में ९१ फीसदी का इजाफा हुआ है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजति और अन्य पिछड़ा वर्ग के २०२२-२३ तक १.३ लाख पद कम हुए हैं।
कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और विपक्ष के दूसरे नेताओं ने लेटरल एंट्री स्कीम का विरोध किया था। ये उसी विरोध का नतीजा है कि अब सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। केंद्र सरकार अगर सामाजिक न्याय के दायरे को तोड़कर कोई नियुक्ति करती है तो उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। केवल विपक्ष ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार में सहयोगी दल जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने भी लेटरल एंट्री स्कीम का विरोध किया था।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि एक बार फिर संविधान की जीत हुई है। लेटरल एंट्री मतलब सीधी भर्ती के पैâसले पर रोक लगी है। राहुल गांधी समेत, समूचे विपक्ष के पुरजोर विरोध ने सरकार को पैâसला वापस लेने पर मजबूर किया है। सामाजिक न्याय और आरक्षण पर किसी भी तरह का हमला हम नहीं होने देंगे। पीएम मोदी, बेकार का क्रेडिट लेने की जरा-सी भी कोशिश मत कीजिए। दलितों आदिवासियों, पिछड़ों के खिलाफ यह पूरी साजिश जो अब बेनकाब हो गई है, वो आपकी नाक के नीचे रची गई।