एड. विक्रम तारे पाटील का जन्म १९८३ में महाराष्ट्र के जेवरी गांव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा जेवरी के जिला परिषद स्कूल में हुई और १२वीं तक की पढ़ाई इन्होंने लातूर जिले से पूरी की। उमरगा तालुका से ग्रेजुएशन करने के बाद इन्होंने औरंगाबाद के एमपी लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री हासिल की। अपने करियर की शुरुआत में विक्रम ने दो साल सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की और फिर मुंबई में आकर प्रसिद्ध वकील अशोक सरावगी के साथ दो साल जूनियरशिप की। इसके बाद ये स्वतंत्र रूप से वकालत करने लगे।
विक्रम का मानना है…
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके इरादों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।।
विक्रम तारे पाटील के पिता विद्वान तारे पाटील एक सफल किसान हैं, जबकि उनकी माताजी एक कुशल गृहिणी हैं। उनके दो भाई हैं, जिनमें से एक वकालत करते हैं और दूसरे जेवरी गांव में खेती और व्यवसाय करते हैं। उनकी पत्नी भी शिक्षित हैं और डी. एड करने के बाद अपने परिवार को संभाल रही हैं। उनके दो बेटे हैं, जिनमें से एक दूसरी कक्षा में पढ़ता है और दूसरा चौथी कक्षा में। विक्रम चाहते हैं कि उनका एक बेटा वकील बने और दूसरा समाज सेवा में मिसाल कायम करे।
वे मानते हैं…
बिना संघर्ष के कोई महान नहीं होता, धरा पर बिखरे हुए मोतियों का कोई मोल नहीं होता।
जो अपनी तकदीर पर खुद ही कर जाए यकीन, उसे फिर किसी और के सहारे की जरूरत नहीं होती।
१९९९ में इन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कार्यकर्ता के रूप में जुड़कर राजनीति की शुरुआत की। २०११ से सक्रिय राजनीति में भाग लेना शुरू किया और आज ये मीरा-भायंदर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के जिला अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। मराठा समाज के लिए इनके योगदान के लिए इन्हें मीरा-भायंदर सकल मराठा समाज द्वारा `मराठा भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पाटील कहते हैं…
`रास्ते की हर दीवार को पार कर, मंजिल की ओर कदम बढ़ाना है, हर मुश्किल को हराना है, अपने हौसलों को बुलंद बनाना है।’
राजनीति के साथ-साथ इन्होंने वकालत के क्षेत्र में भी समाज सेवा के कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन्होंने गरीबों के कई केस मुफ्त में लड़े, ताकि कोई न्याय से वंचित न रह सके। कोरोना काल में भी इन्होंने जरूरतमंदों की मदद की और जितना संभव हो सका, आम जनता के लिए सहयोग किया। ये आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गट) से इच्छुक उम्मीदवार के रूप में फॉर्म भर दिया है और अगर इन्हें मौका मिलता है तो ये विधायक बनकर अपने समाजसेवा कार्य को और भी आगे बढ़ाना चाहते हैं।
समाजसेवा में इनका ध्येय है…
`जो भी मुश्किलें सामने आएंगी,
उनका सामना करना पड़ेगा,
हर हाल में जीतने का जुनून है,
इस जुनून को कभी मरने नहीं देना।’
एडवोकेट विक्रम तारे पाटील की यह जीवन कहानी न्याय, राजनीति, और समाज सेवा का अद्वितीय संगम है.