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प्रधानमंत्री की फसल बीमा योजना फ्राॅड -क्षीरसागर

सामना संवाददाता / मुंबई
किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई है। इस योजना में भारी पैमाने पर फ्राॅड कारोबार किया जाता है, यह सनसनीखेज आरोप कॉमरेड राजन क्षीरसागर ने लगाया है। उन्होंने कहा कि खाद और बीज पर भारी पैमाने पर जीएसटी वसूली जाती है। फसल बीमा कंपनियों को १०० प्रतिशत अनुदान देकर उन्हें मजबूत किया जाता है। स्काईमेट जैसी कंपनी को डेढ़ हजार करोड़ रुपए का ठेका देने से मौसम में कोई सटीकता नहीं रह गई है। किसान सभा के राज्य महासचिव राजन क्षीरसागर ने कहा कि बीमा कंपनियों की जो शर्तें हैं, वे किसान विरोधी हैं। प्राकृतिक आपदा में किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता, क्योंकि कंपनियों ने ऐसी शर्तें रखी हैं, जिससे किसान लाभ से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि फसल बीमा में सभी प्रकार की खेती का समावेश करना चाहिए, कंपनियों की जो शर्ते हैं, उनमें संशोधन होना चाहिए, ताकि किसानों को फसल बीमा का लाभ मिल सके। २०१६ से २०२२ के दरमियान फसल बीमा कंपनियों ने सवा लाख करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाया है। कंपनियों की शर्तों के कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना धूल फेंक यानी प्रâॉड योजना साबित हो रही है। इसके अलावा किसानों की फसल के लिए उपयोग में आनेवाली खाद पर १२ प्रतिशत जीएसटी लगाई गई। इसका नुकसान भी किसानों को उठाना पड़ रहा है। फसल बीमा कंपनियों की शर्तों के अनुसार, ५० प्रतिशत से अधिक नुकसान होने के बाद ही फसल बीमा योजना का लाभ मिलता है। इसके अलावा कंपनियों की अनेक ऐसी शर्तें होती हैं, जिसको पूरा कर पाना किसानों के लिए बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की १ रुपए में फसल बीमा जो घोषित की है, यह पूरी तरह से धूल फेक योजना है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदा के लिए राज्य बीमा प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए, जिसमें मानसून विशेषज्ञ, आर्थिक विशेषज्ञ, तकनीकी विशेषज्ञ और किसानों का समावेश करके इसकी स्थापना करनी चाहिए।

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