जितेंद्र मल्लाह / मुंबई
जनता में जागरूकता कहें या पुलिस की सक्रियता या फिर न्याय मिलने में देरी। लेकिन इन सबके परिणामस्वरूप जेलों में भीड़ बढ़ती जा रही है, जो कि जेलकर्मियों के लिए अक्सर परेशानी का सबब बनती रही है। इस समस्या से निपटने के लिए जेल प्रशासन ने २० फीसदी अतिरिक्त कैदियों को खुली जेलों में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। यानी कि कुछ कैदियों को अब खुली जेलों में सांस लेने का मौका मिलेगा।
बता दें कि कारागृहों में बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए जेल प्रशासन योग्य कैदियों को खुली जेलों में भेजने का निर्णय लिया है। जेल प्रशासन के निर्णय के अनुसार, अब खुली जेलों में क्षमता से २० फीसदी तक अधिक कैदियों को रखा जाएगा। फिलहाल, राज्य में मौजूद १९ खुली जेलों में १,५१२ पुरुष व १०० महिला बंदियों को रखने की क्षमता है। वर्ष २०२२ में खुली जेलों के लिए पात्र रहे १,५७१ पुरुष बंदी व ४५ महिला बंदियों को खुली जेलों के लिए पात्र घोषित किया गया था। लेकिन सभी खुली जेलों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं होने से कई कैदी खुली जेलों में नहीं जा सके थे। इसलिए अपर पुलिस महासंचालक व महानिरीक्षक कारागृह व सुधारसेवा अमिताभ गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में खुली जेलों की बंदी क्षमता २० प्रतिशत तक बढ़ाने का नीतिगत निर्णय जेल प्रशासन ने लिया है। इसी तरह आईपीसी की धारा ३९२ से ४०२ के तहत दोषी ठहराए गए कैदियों को उक्त धाराओं के तहत दी गई सजा खत्म होने के बाद अन्य धाराओं के तहत शेष बची सजा भोगने के लिए खुली जेलों में भेजा जाए। इसी तरह ६० वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को भी खुली जेलों में भेजने का नीतिगत निर्णय लिया गया। इन दोनों निर्णयों का लाभ पात्र कैदियों को मिलेगा।
मिलेगा ये लाभ
गौरतलब हो कि १ वर्ष से अधिक के लिए कैद की सजा पानेवाले सभी बंदियों को कम से कम १ वर्ष जबकि उम्रकैद के मामले में ५ वर्ष की सजा भोगने के बाद कैदियों की खुली जेलों में भेजा जाता है। खुली जेलों में कैदियों को एक महीने की सजा भुगतने के बाद ३० दिन माफ किए जाते हैं। वहां कैदियों को अपने परिजनों से प्रत्यक्ष मिलने का मौका मिलता है। वहां कैदियों को खेतों, कारखाना विभाग आदि में काम दिया जाता है। खुली हवा में सजा भुगतने के दौरान कैदियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
गंभीर अपराधियों को नहीं मिलेगी राहत
जेल प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, संगठित अपराध / देश विरोधी गतिविधियों / आतंकवाद / नक्सलवाद / एनडीपीएस (मादक पदार्थ प्रतिबंधक कानून) बलात्कार / पेशेवर हत्यारे व अन्य अति गंभीर स्वरूप के गुनाहों से संबंधित अपराधियों को सजा में कोई राहत नहीं मिलेगी।