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पुराने साजो-सामान से ‘समृद्धि’ पर छाया है संकट : महामार्ग निर्माण में इस्तेमाल हो रही हैं आउटडेटेड मशीनरी!

• विशेषज्ञों ने लगाया आरोप
• घटिया नियोजन और नियंत्रण बन रहा है हादसों का कारण
सामना संवाददाता / मुंबई
बीते कुछ दिनों से समृद्धि महामार्ग पर हादसों की झड़ी लगी हुई है। पिछले कुछ दिनों में इस महामार्ग पर कई बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। ठाणे जिले में समृद्धि एक्सप्रेसवे के तीसरे चरण के निर्माण के दौरान कल मंगलवार को १०० फुट ऊपर से एक क्रेन के गिरने से २० लोगों की मृत्यु हो गई। इस हादसे पर जानकारों का आरोप है कि महामार्ग के निर्माण कार्य के लिए आउटडेटेड मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुराने साजो-सामान के उपयोग से ‘समृद्धि’ पर संकट छाया हुआ है।
सड़क निर्माण से जुड़े जानकारों का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य में जिन मशीनरियों का इस्तेमाल होता है, उसके रख-रखाव पर यदि पर्याप्त ध्यान न दिया जाए तो इस तरह के हादसे होते हैं। पर्याप्त मेंटेनेंस के अभाव के अलावा कर्मचारियों की लापरवाही भी इस तरह के हादसों को आमंत्रण देती हैं। एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने शिंदे-फडणवीस सरकार के ऊपर आरोप लगाते हुए सवाल पूछा कि क्या चुनाव से पहले ठेकेदारों को किसी प्रकार का दबाव दिया जा रहा है? लगता है कि वह सारे सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर जल्दबाजी में काम खत्म करना चाहते हैं, ताकि समृद्धि महामार्ग को शिंदे गुट की एक उपलब्धि के रूप में दर्शाया जा सके।
समृद्धि महामार्ग का उद्घाटन शिंदे-फडणवीस सरकार ने बिना पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था किए गत दिसंबर में काफी हड़बड़ी में किया था। इससे वहां दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गई। मुंबई और नागपुर को जोड़ने वाला ७०१ किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे है। यह नागपुर, वाशिम, वर्धा, नगर, बुलढाणा, संभाजीनगर, अमरावती, जालना, नासिक और ठाणे सहित १० जिलों से होकर गुजरता है। समृद्धि महामार्ग का निर्माण कार्य महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम द्वारा किया जा रहा है।
नागपुर को शिरडी से जोड़ने वाले पहले चरण का उद्घाटन दिसंबर २०२२ में किया गया था। यह ५२० किमी लंबा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने २६ मई को इगतपुरी तालुका के भारवीर गांव से शिरडी तक समृद्धि महामार्ग के ८० किमी लंबे दूसरे चरण का उद्घाटन किया था। शिंदे ने मई में दूसरे चरण का उद्घाटन करते हुए कहा था कि तीसरा और आखिरी चरण इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसलिए भी बाकी काम हड़बड़ी में निपटाया जा रहा है, जिससे हादसे की संभावना काफी बढ़ जाती है। अभी एक्सप्रेसवे के ६०० किमी के हिस्से पर दुर्घटनाओं में १०० से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अब सोचने की बात है कि जब पूरा एक्सप्रेसवे बन जाएगा तब क्या स्थिति होगी! ११ दिसंबर, २०२२ से २० मार्च, २०२३ तक के डेटा से पता चलता है कि तेज गति व मैकेनिकल खराबी के कारण ४०० से अधिक दुर्घटनाएं हुईं, १३० के लिए पंक्चर और १०८ के लिए टायर फट गया।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
जनवरी २०१८ में मुंबई में ऐसे ही एक हादसे में तीन मजदूरों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उस हादसे में हाइड्रोलिक क्रेन का अगला हिस्सा अलग होकर गिर पड़ा था। उस वक्त वे मजदूर ३० फुट गहरे गड्ढे के अंदर सीवरेज लाइन का निर्माण कर रहे थे।

परेल में भी टूटी थी क्रेन
रेल बोगियों को स्थानांतरित करने के लिए सस्पेंशन क्रेन का इस्तेमाल रेलवे कार्यशालाओं में प्रमुख रूप से किया जाता है। रेलवे यूनियनों ने दावा किया है कि उनमें से कुछ की लाइफ समाप्त हो चुकी है और वे आउटडेटेड हो चुके हैं। गत १८ फरवरी को लोअर परेल वर्कशॉप में एक बोगी को ले जा रही क्रेन गिर गई थी। इस संबंध में कई बार रेलवे कर्मचारियों द्वारा आउटडेटेड क्रेन की शिकायतें की जा चुकी हैं।

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