आरे कॉलोनी में दी जाए जगह मनपा ने सरकार को लिखा पत्र
सामना संवाददाता / मुंबई
‘दुग्ध उत्पादक संघ’ ने मुंबई में गायों, भैंसों के शेड और तबेलों को मुंबई से बाहर स्थानांतरित करने का विरोध किया है। यदि तबेलों को पालघर के दापचेरी में स्थानांतरित कर दिया जाता है, तो दैनिक आधार पर मुंबई में ताजा दूध पहुंचाना संभव नहीं होगा। इसलिए दुग्ध उत्पादक संघ ने मांग की है कि आरे कॉलोनी में ही तबेलों को जगह दी जाए और उपनगरीय तबेलों में रहने वाले करीब दस हजार पशुओं को आरे डेयरी कॉलोनी में समायोजित किया जाए। इस मामले में अब मनपा प्रशासन ने राज्य सरकार के डेयरी व्यवसाय विकास विभाग को पत्र भेजा है।
बॉम्बे मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने इस पैâसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के पैâसले के पक्ष में पैâसला सुनाया था। इसके बाद संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी पैâसला संस्था के खिलाफ आया। इसलिए इन तबेलों को शहर से बाहर ले जाने के पैâसले पर मुहर लगा दी गई। हालांकि, तीन से चार साल बाद भी तबेले अभी भी मुंबई में ही हैं। इसलिए राज्य सरकार के पशुपालन विभाग ने मनपा से मदद मांगी थी।
अक्सर यह शिकायत की जाती है कि तबेलों के मलमूत्र रेलवे पटरियों के पास या नदियों और नालों में फेंक दिया जाता है। इसके अलावा जानवर भोजन की तलाश में शहर में घूमते रहते हैं। इसलिए शहर को ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है, इसके अलावा यह भी शिकायत की जाती है कि खुले में घूम रहे जानवर कूड़ादानों में कूड़ा बिखेरते हैं। मनपा ऐसे जानवरों को पकड़ती है लेकिन मालिक जुर्माना भर कर इन्हें छुड़ा लेते हैं, जिसके बाद ये जानवर फिर से सड़क पर नजर आने लगते हैं।