सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई उच्च न्यायालय ने साल २०१२ में पुणे सीरियल ब्लास्ट मामले में आरोपी मुनीब इकबाल मेमन को जमानत दे दी। वह पिछले १२ वर्षों से जेल में है और उसका मामला अभी भी लंबित है। इस बारे में अदालत ने कहा कि एक दशक से अधिक समय तक सुनवाई से पहले हिरासत में रखना संविधान के अनुच्छेद २१ यानी जीवन की स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। मुनीब का मुकदमा २०१३ में शुरू हुआ था। इसका निपटारा कम से कम दिसंबर २०२३ तक हो जाना चाहिए था।
मुनीब ने पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और जमानत मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने विशेष अदालत को दिसंबर २०२३ तक केस पूरा करने का आदेश देते हुए याचिका खारिज कर दी। हालांकि, मामले का निपटारा तय समय सीमा के भीतर नहीं किया गया, जिसके खिलाफ मुनीब ने पहले विशेष अदालत में जमानत मांगी थी। इसके खारिज होने के बाद उसने एक बार फिर जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।