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पूर्वांचल पॉलिटिक्स : तो क्या बच्चों से रिक्शा चलवायें, खेती करवायें…

हिमांशु राज

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने परिवारवाद का समर्थन करते हुए कहा कि हमारा परिवारवाद समाजवादी पार्टी के परिवारवाद से अलग है। मंत्री जी के अनुसार, अगर वो अपने बच्चों को राजनीति में नहीं बढ़ाएंगे तो क्या उनसे रिक्शा चलवाएंगे और खेती कराएंगे। परिवार के लोगों को एमपी, एमएलए मंत्री बना पाएंगे तभी समाज के लोगों का भी भला होगा। डॉ. संजय निषाद ने अपने परिवारवाद और समाजवादी पार्टी के परिवारवाद के अंतर को बताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि सपा का परिवारवाद सिर्फ अपने लोगों को सत्ता सुख देने के लिए है जबकि उनका परिवारवाद राजनीतिक मिशन को आगे बढ़ाने के लिए है यह समझाने का प्रयास किया कि जिस दिन वह नहीं रहेंगे उनके राजनीतिक मिशन को उनके बेटे आगे बढ़ाएंगे और समाज को बिखरने नहीं देंगे। अपने क्रांतिकारी विचारों को धार देने के लिए मंत्री जी ने स्व. फूलन देवी, धनीराम वर्मा, मनोहर लाल निषाद, महेंद्र सिंह राजपूत लोधी, यमुना निषाद जैसे बड़े नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा, `ये सभी समाज के बहुत बड़े नेता थे। जब इन नेताओं का निधन हुआ तो मछुआ समुदाय के कारवां को लेकर आगे चलने वाला कोई नहीं था। इन नेताओं ने भी अपने पीछे परिवार को खड़ा किया होता तो मछुआ समुदाय और सशक्त हुआ होता। संजय निषाद के अनुसार, फूलन देवी ने जब तक मछुआ समाज का वोट सपा को दिलाया, वे नेता रहीं। लेकिन जब उन्होंने अपनी पार्टी बनाकर राजनीति करने की कोशिश की, तो उनकी हत्या करा दी गई। परिवारवाद की वकालत व निषाद समाज को एक मार्शल कौम मानने वाले संजय निषाद ने अपनी राजनीतिक विरासत सुरक्षित करने के लिए अपने बेटों को राजनीति में आगे करने की कवायद शुरू की है। संजय निषाद अपनी जाति के वोटो को आकर्षित करने में कितने सफल होते हैं ये समय के गर्भ में है। पर चाल-चरित्र, चेहरा व जातिवाद परिवारवाद से हटकर कार्य करने की वकालत करने वाली बीजेपी की तरफ से उनके सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख के इस बयान के बाद अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

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