सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते घाटी में कानून व्यवस्था पर अब सवाल उठने लगा है। कश्मीर में केंद्र की अनदेखी के चलते कश्मीरी पंडितों का जीना मुहाल हो गया है। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में दुर्गा नाग मंदिर की संपत्ति को लेकर कथित अनिमितताओं के आरोपों के बीच कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने एडीजी पुलिस कानून व्यवस्था को एक पत्र लिखा है। इसमें मामले का संज्ञान लेते हुए संबंधित पुलिस थाने को जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच के निर्देश देने की मांग की गई है।
पत्र में एफआईआर की मांग
कश्मीरी पंडितों के संगठन जेके पीस फोरम द्वारा लिखे गए पत्र में दुर्गा नाग मंदिर के प्रबंधन, राजस्व विभाग, श्रीनगर नगर निगम, और जे एंड के बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है। पत्र में इन पर कानूनों का उल्लंघन करने वाली अवैध गतिविधियों की मदद करने और उन्हें बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा पत्र में दुर्गा नाग मंदिर के स्वामित्व वाली संपत्ति को तीसरे पक्ष को सौंपने का भी जिक्र भी किया गया है। साथ ही इसमें मंदिर की जमीन पर पारस अस्पताल, होटल, मोटल, वाणिज्यिक परिसरों सहित अन्य गैर कानूनी निर्माण के आरोप भी लगाए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि दिवंगत जगतगुरु शंकराचार्य शारदा पीठ स्वामी शिवरतनानंद ने कश्मीरी पंडित समुदाय के कुछ लोगों की मानद सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए संवत १९९६ या साल १९३९ में ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसके बाद २००७ में प्राण नाथ ताकू ने अचानक अपना खुद का एक ट्रस्ट बना लिया। इस तरह अब यह ट्रस्ट कामकाज संभालने लगा और कानूनी रूप से पिछली व्यवस्थाओं को निरर्थक बना दिया।