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सुरक्षा पर उठे सवाल! काश, कवच होता! भारतीय रेलवे की भूल ने निगल लीं २८८ जिंदगियां

नागमणि पांडेय / मुंबई
कहते हैं हादसे कभी बोलकर नहीं आते। लेकिन ओडिशा में शुक्रवार को हुए हादसे की जो भयावह तस्वीरें सामने आई हैं उससे यह बात तो स्पष्ट है कि इसके पीछे लापरवाही ही एकमेव कारण है, जिसने २८८ मासूमों की जिंदगियां निगल लीं और मौत का मंजर लोगों को देखने को मिला। कई लोगों को तो अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले ही मौत मिल गई। ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में अब तक २८८ लोगों की जानें चली गई हैं, जबकि एक हजार से अधिक लोग घायल हैं। इस हादसे के बाद से लगातार ट्रेन की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इस हादसे से रेलवे की लापरवाही सामने आई है। जिन ट्रेनों के बीच टक्कर हुई है उनमें एंटी कोलेजन डिवाइस लगा ही नहीं था। इन दोनों ट्रेनों में अगर यह डिवाइस लगा होता तो दुर्घटना टलने के साथ ही यात्रियों की जान भी बचाई जा सकती थी। अभी भी देशभर की हजारों ट्रेनें इस डिवाइस के बिना दौड़ाए जाने का खुलासा हुआ है।
ट्रेन दुर्घटनाओं का विवरण अपलोड करें
एक्टिविस्ट समीर झवेरी ने बताया कि रेलवे दुर्घटनाओं को देखते हुए मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे बोर्ड की तरफ से २०१३ से लेकर अब तक २८ एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) दी गई है। लेकिन इन रिपोर्ट्स पर रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा किसी भी तरह से कार्रवाई नहीं की गई है। इसके लिए मांग करता हूं कि सूचना अधिकार अधिनियम की धारा ४ के तहत पिछले १० वर्षों में भारतीय रेल अधिनियम की धारा ११४ के तहत तैयार की गई ट्रेन दुर्घटनाओं की जांच रिपोर्ट को भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण अपलोड किया जाए।

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