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सुरक्षा पर उठ रहे सवाल: आईएनएस ट्राटा हुआ बेकार!

  • बनेंगी दो बहुमंजिला इमारतें
  • नेवी जवानों के आवास की कमी होगी पूरी

सामना संवाददाता / मुंबई
बांद्रा-वर्ली सी-लिंक के कारण एहतियातन सुरक्षा को लेकर भारतीय नौसेना का मुंबई में वर्ली स्थित वायु रक्षा इकाई आईएनएस ट्राटा सुर्खियों में आ गया है। दक्षिण मुंबई में भारतीय नौसेना के जवानों के आवास की कमी को पूरा करने लिए यहां दो आवासीय टावरों का निर्माण किया जाएगा। यह फैसला भारतीय नौसेना ने लिया है, क्योंकि इस बेस से अब मिसाइलें नहीं दागी जा सकती हैं, इसलिए यह फैसला लिया गया है।
पश्चिमी नौसेना कमान भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा कमान मुख्यालय है, जिसका क्षेत्रीय मुख्यालय परिचालन और प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दक्षिण मुंबई में है। वर्ली में भारतीय नौसेना की वायु रक्षा इकाई आईएनएस ट्राटा, बांद्रा-वर्ली सी- लिंक के कारण आंशिक रूप से बेकार हो जाने के कारण, यह निर्णय लिया गया है कि इस स्थान पर दो आवासीय टावरों का निर्माण किया जाएगा। ५.४ एकड़ के क्षेत्र में २.३७ के फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के साथ दो २९ मंजिला टावरों का निर्माण नौसेना अधिकारियों व जवानों के लिए किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक, आईएनएस ट्राटा पहाड़ी पर है इसलिए रास्ते के लिए काफी जमीन को समतल करना होगा। रक्षा सेवाओं के लिए दक्षिण मुंबई के नेवी स्टेशन कुलाबा में नाविकों को समायोजित करने के लिए जगह की काफी कमी है। यही वजह है कि नौसेना की वर्ली स्थित आईएनएस ट्राटा की जमीन पर दो बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी, ‌जहां नौसेना के जवान अपने परिवार के साथ रह सकते हैं। पिछले महीने महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने भारतीय नौसेना के साथ इस संबंध में बैठक की और अप्रैल के पहले सप्ताह में कार्यवृत्त को मंजूरी दी है। नौसेना की ओर से भी इसकी पुष्टि की गई है।
जारी रहेगा एयर बैटरी इकाइयों का काम
सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा के अनुसार, रक्षा क्षेत्र के लोग जानते हैं कि अंदर क्या रखा है? आईएनएस ट्राटा से अब मिसाइलें दागी नहीं जा सकती हैं, इसलिए यहां २९ मंजिला दो टावर बनाए जाएंगे। हालांकि, भंडारण, तैयारी और उन आवासीय भवनों में एयर बैटरी इकाइयों का प्रेषण जारी रहना चाहिए।‌ गौरतलब हो कि समुद्री सुरक्षा का मामला मुंबई के लिए बेहद अहम है। समुद्री मार्ग से ही घुसकर आतंकवादियों ने मुंबई में कोहराम मचाया था। इसके लिए नौसेना का आईएनएस ट्राटा बहुत मायने रखता है।‌ मांग उठ रही है कि उक्त जमीन पर नौसेना जवानों के लिए टावर तो बने लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से उसे कार्यान्वित रहना चाहिए।‌
आस-पास की इमारतों को लेकर सवाल
सुरक्षा के लिहाज से सेना के ठिकानों से ३०० मीटर की दूरी प्रतिबंधित क्षेत्र माना जाता है। इस वायु रक्षा इकाई के आस-पास खड़ी हुई बहुमंजिला इमारतों को लेकर सवाल उठ रहे हैं।‌ वर्ली में विवादास्पद १८ मंजिला हरसिद्धि हाइट्स बिल्डिंग को लेकर विवाद उठा था। इस इमारत को गिराए जाने के मामले को लेकर उस इमारत के निवासी संकेत शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में शाह ने कहा था कि आस-पास कई अन्य इमारतें हैं, जिनसे आईएनएस ट्राटा का स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है। बेस को बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से भी देखा जा सकता है। नौसेना ने इस पर कोई आपत्ति क्यों नहीं की?

आईएनएस ट्राटा का इतिहास
आईएनएस ट्राटा राज्य में नौसेना का एक मिसाइल बैटरी बेस है, जिसे महाराष्ट्र और गुजरात की तटीय रक्षा का काम सौंपा गया है। संस्कृत में ट्राटा शब्द का अर्थ `संरक्षक’ है। इस यूनिट को १२ दिसंबर १९६४ को चालू किया गया था। २६ अगस्त १९८८ को नौसेना के एमएमसीबी स्क्वाड्रन को शामिल किया गया। अगस्त १९९२ में वर्ली में स्थानांतरित होने पर इसे कमांडिंग ऑफिसर, आईएनएस ट्राटा की कमान में रखा गया था। दुश्मन की जहाजों पर नजर रखना और अपनी सुरक्षा करना इस स्टेशन का उद्देश्य है।

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