सुनो राधा सुनो राधा कान्ह आए हैं इस होली।
तरस गए थे हम सुनने को उनकी मीठी बोली।
पिचकारी तैयार करो भर लो सारे रंगों से।
भावों से भीगे हैं कान्हा हम से करे ठिठोली।
बिछुड़न की अमवास बनी है अब मधुमास मिलन की।
कान्ह कर रहे वास हमारे मन में बन हमजोली।
राधा का मन आंगन अब खुशियों से भरता जाए।
कान्हा अब सतरंगों को ले आंक रहे रंगोली।
आओ राधा कर लें अब तैयारी हम सब मिल के।
आए हैं अब कृष्ण खेलने हमसे प्रेम की होली।
नाचो राधा झूम झूम कर होली के गीतों पर।
भर लो कान्हा की मस्ती से खुशियों की तुम झोली।
होली का उल्लास भर रहा मन प्राणों में सबके।
रंगों की बौछार में भीगे तन मन होली है भई होली।
-डॉ. कनक लता तिवारी