सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च करते समय दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिए गए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि, इस मामले को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलवार हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य लद्दाख वासियों को हिरासत में लिया जाना ‘अस्वीकार्य है।
गांधी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक और लद्दाख के सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया जाना अस्वीकार्य है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी पूछा कि लद्दाख के भविष्य के लिए आवाज उठाने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर आखिर हिरासत में क्यों लिया गया। गांधी ने कहा कि मोदी जी, किसानों के मामले की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि किसानों, पर्यावरणविदों और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों के लिए दिल्ली के दरवाजे बंद हैं। आप राजघाट पर ताला लगा रहे हैं जो संविधान में विश्वास करने वालों के लिए एक पवित्र स्थान है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये बीजेपी सरकार ने पाप किया है। लद्दाख सांसद हाजी हनीफा जान ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से हम अपनी चिंताओं को बहुत शांतिपूर्ण तरीके से उठाते रहे हैं। सरकार के साथ कई दौर की चर्चा भी हुई। हमें उम्मीद थी कि नई सरकार बनने के बाद बातचीत जारी रहेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सोनम को रोकना तानाशाही
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि सोनम वांगचुक और हमारे १५० लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आ रहे थे। उनको पुलिस ने रोक लिया है। कल रात से बवाना थाने में वैâद हैं। क्या लद्दाख के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार मांगना गलत है? क्या २ अक्टूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि पर जाना गलत है? सोनम वांगचुक को रोकना तानाशाही है।