अनिल मिश्र/पटना
बिहार के सारण जिले में स्थित मढ़ौरा में बनने वाले रेल इंजन से अफ्रीका के विभिन्न देशों की रेल पटरियों पर ट्रेनें दौड़ेंगी। आत्मनिर्भर भारत के तहत अफ्रीकी देशों में इंजन की आपूर्ति की जाएगी। मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना 2025 से अफ्रीका को इवोल्यूशन सीरीज के लोकोमोटिव का निर्यात शुरू करेगा। भारतीय रेलवे और वेबटेक का संयुक्त उद्यम और वेबटेक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड इंजन के निर्यात के लिए अपने संयंत्र की क्षमता का विस्तार कर रहा है। पहली बार यह संयंत्र एक वैश्विक ग्राहक को निर्यात के लिए लोकोमोटिव का निर्माण करेगा।
बिहार के सारण जिले में स्थित मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना में सितंबर 2018 से उत्पादन शुरू हुआ है। विश्वस्तरीय यह फैक्ट्री प्रति वर्ष करीब 120 लोकोमोटिव बनाने की क्षमता रखती है। इस फैक्ट्री ने बिहार के प्रतिभाशाली कार्यबल के दम पर एक नया मानक भी स्थापित किया है। इस रेल इंजन कारखाना के बनने के बाद आसपास के आउटरीच कार्यक्रमों से क्षेत्र में सामुदायिक विकास को सक्षम करने वाले व्यावसायिक प्रशिक्षण और शैक्षिक इक्विटी को बढ़ावा दिया है। इसके विविध कार्यक्रमों ने 600 से अधिक महिला उद्यमियों को तैयार किया है। इसने स्थानीय पॉलिटेक्निक के इंजीनियरों को स्मार्ट वेल्डिंग कौशल के साथ प्रशिक्षित किया जो रोजगार सृजन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
70 एकड़ में फैले इस इस रेल कारखाना का शिलान्यास 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने किया था। इस कारखाने का उद्देश्य भारतीय रेलवे के लिए आधुनिक इंजन बनाना था। यह कारखाना लगभग 600 लोगों को रोजगार देता है। वहीं हर साल भारतीय रेलवे को 100 इंजन मुहैया कराता है। इसने बिहार में औद्योगिक विकास को भी तेजी दी है।
इस रेल कारखाना में निर्मित ईएस43एसीएमआई लोकोमोटिव का निर्यात होगा ।
मढ़ौरा संयंत्र वैश्विक ग्राहकों को इवोल्यूशन सीरीज ईएस43एसीएमआई के लोकोमोटिव की आपूर्ति करेगा। इस लोकोमोटिव में 4500 एचपी इवोल्यूशन सीरीज का इंजन है, जो उच्च तापमान वाले वातावरण में ईंधन से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ दक्षता और प्रदर्शन प्रदान करता है। बिहार के मढ़ौरा रेल इंजन संयंत्र 2025 में इन इंजनों का निर्यात शुरू कर देगा।