– भारतीय रेलवे में विलय की उठी मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
कोकण के निवासियों के साथ रेलवे विभाग द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। यही कारण है कि कोकण से गुजरने वाली रेलवे अब तक भारतीय रेलवे में विलय नहीं की गई है। वर्तमान में भारत में `एक देश, एक चुनाव’ का नारा दिया जा रहा है, लेकिन इसी देश में भारतीय रेलवे के भीतर कोकण रेलवे का संचालन अलग तरीके से होता है।
नतीजतन, कोकणवासियों को मूलभूत सेवाएं मिलने में कठिनाई होती है और निधि की कमी महसूस होती है। इसके विरोध में अखंड कोकण रेलवे प्रवासी सेवा समिति ने आंदोलन शुरू किया है। वर्तमान समय में कोकण रेलवे के स्टेशन दयनीय स्थिति में हैं। राज्य सरकार द्वारा कोकण रेलवे स्टेशनों के बाहरी परिसर का नवीनीकरण किया गया है, लेकिन स्टेशन अभी भी उजाड़ हालत में हैं। भारतीय रेलवे में अमृत भारत स्टेशन योजना लागू की जा रही है, जिसमें कोकण के सिर्फ दो स्टेशन, उडुपी और मडगांव का सौंदर्यीकरण किया गया है। हालांकि, कोकण रेलवे के महाराष्ट्र स्थित एक भी स्टेशन का नाम इसमें शामिल नहीं किया गया है। रत्नागिरी जैसे ज्यादा राजस्व देने वाले स्टेशन का नाम अमृत भारत स्टेशन योजना में होना चाहिए था, लेकिन रत्नागिरी को इसमें से हटा दिया गया है। इसके अलावा, बजट में भारतीय रेलवे के लिए २ लाख ६२ हजार करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई, जिसमें से कोकण रेलवे के लिए मात्र १,५०० करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिससे यात्री सुविधाओं में वृद्धि पर सीमाएं लग जाती हैं। पूरे देशभर में रेलवे का दोहरीकरण, तिहरीकरण, और चौहरीकरण किया जा रहा है, लेकिन कोकण रेलवे के दोहरीकरण का प्रश्न कई वर्षों से लंबित है। इसके साथ ही, कई स्टेशनों को टर्मिनस में परिवर्तित करने और अन्य आधारभूत सुविधाओं की भी कमी है।
इसलिए यात्रियों की असुविधाओं को दूर करने के लिए कोकण रेलवे का भारतीय रेलवे में विलय करने की मांग को लेकर २३ कोकण रेलवे प्रवासी संगठन एकजुट हुए हैं। रेलवे बोर्ड और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से कोकणी यात्रियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए कोकण रेलवे का भारतीय रेलवे में विलय करने की मांग अखंड कोकण रेलवे प्रवासी सेवा समिति द्वारा की गई है।
रेलवे गाड़ियों का देर से चलना, अतिरिक्त गाड़ियों का न होना, सीमित स्टेशनों पर ठहराव, अव्यवस्थित समय पर विशेष गाड़ियों का संचालन जैसी समस्याएं कोकणी यात्रियों को परेशान करती हैं। कोकण रेलवे पर यात्रियों की समस्याओं के समाधान के लिए दोहरीकरण और नए स्टेशनों की स्थापना का प्रस्ताव है। इस परियोजना के पूरा होने पर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन और नए स्टेशन से उस क्षेत्र के गांवों का विकास भी होगा। इसके अलावा, कोकण रेलवे का भारतीय रेलवे में विलय करने के लिए २३ कोकण रेलवे प्रवासी संगठन एकजुट हुए हैं, इसलिए विलय के लिए लगातार प्रयास जारी रहेंगे।
अक्षय महापदी, सचिव, अखंड कोकण रेलवे प्रवासी सेवा समिति