केंद्र सरकार को दी चेतावनी
नहीं है कर्मचारियों की परवाह
सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बंद करके नई पेंशन योजना लागू करने का निर्णय लिया। इस निर्णय से कर्मचारियों में नाराजगी दिखाई दे रही है। केंद्र की नई पेंशन `एक्सप्रेस’ यानी योजना पर रेलवे यूनियन भड़क गई है। बता दें कि रेलवे बोर्ड से मान्यताप्राप्त यूनियन `नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन’ रेलवे कर्मचारियों के एक संघ ने नई पेंशन योजना को समाप्त करने और पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते हुए केंद्र सरकार को घेरा है। रेलवे में इस यूनियन से संबंधित कुल १३ लाख कर्मचारियों की तुलना में १० लाख कर्मचारी एनपीएस का विरोध कर रहे हैं।
दरअसल, सरकार द्वारा लागू नई पेंशन योजना से कई सरकारी विभाग के कर्मचारी नाराज हैं। रेलवे यूनियन एनएफआईआर ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि अगर सरकार द्वारा लागू नई पेंशन योजना को वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना को लागू नहीं किया गया तो हम एक बार फिर धरना आंदोलन करेंगे। साथ ही सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण का भी विरोध करेंगे, क्योंकि रेलवे आम नागरिकों के लिए थी लेकिन इसका निजीकरण कर सरकार द्वारा आम लोगों के हक को खत्म किया जा रहा है।
चिंतित और व्यथित हैं
एनएफआईआर के महासचिव एम राघवैया ने सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के वार्षिक अधिवेशन में सरकार द्वारा लागू की गई इस नई पेंशन योजना को लेकर बताया कि १ जनवरी, २००४ के बाद नियुक्त रेलवे कर्मचारी इस बात से गंभीर रूप से चिंतित और व्यथित महसूस कर रहे हैं कि रिटायर होने के बाद उनके पास अपने जीवनयापन के लिए कोई सुरक्षा नहीं होगी।
रेलवे को नहीं है कर्मचारियों की फिक्र
इस रेलवे यूनियन के अधिवेशन में कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की गई। ट्रैक मेंटेनर चौबीस घंटे अपनी ड्यूटी करते हुए ट्रेनों द्वारा कुचले जाने से परेशान हैं। हर साल करीब ४०० गैंगमैन ड्यूटी के दौरान ट्रेन हादसों में मारे जाते हैं। २०१६ में सुरेश प्रभु रेलवे मंत्री थे तो उनके द्वारा ट्रैक रख रखाव करने वाले कर्मचारियों के लिए एक रक्षक यंत्र लाने का वादा किया गया था। उस यंत्र के उपयोग से आने वाली ट्रेनों की चेतावनी प्राप्त करना आसान हो जाता और कर्मचारियों को पटरियों से दूर जाने के लिए समय रहते सचेत कर दिया जाता लेकिन अभी तक रक्षक यंत्र का कुछ पता नहीं है। कई बार ट्रैक पर काम कर रहे कर्मचारी अपनी जान गवां बैठते हैं।