मुख्यपृष्ठस्तंभराज की बात : भाजपा की हार का सिलसिला हुआ शुरू!

राज की बात : भाजपा की हार का सिलसिला हुआ शुरू!

द्विजेंद्र तिवारी

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली जाकर वहां की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी के साथ सेल्फी खींचकर आए हैं। मोदी समर्थक राजनीतिक पंडितों का कहना है कि उनकी मुस्कुराहट जोरदार है और ऐसा लगता है कि दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक केमिस्ट्री शानदार है, लेकिन समझदार लोगों को इस मुस्कराहट के पीछे की शायरी याद आने लगी है-
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो,
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो,
आंखों में नमी हंसी लबों पर,
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो।
जब से देश की जनता ने उन्हें धरातल पर ला पटका है, २०२९ और २०४७ का राग बंद हो चुका है। राहत इंदौरी ऐसे ही मौकों के लिए लिख गए हैं-
जुगनुओं ने फिर अंधेरों से लड़ाई जीत ली
चांद सूरज घर के रौशनदान में रखे रहे
जमील मलिक ने लिखा है-
मैदां में हार-जीत का यूं फैसला हुआ
दुनिया थी उनके साथ हमारा खुदा हुआ
मतलब मोदी जी के साथ जो हुआ, उसे शायर पहले से कहते रहे हैं, लेकिन होता यही है कि जब तक ठोकर न लगे, सीख नहीं मिलती।
अकर्मण्य नेताओं से परिपूर्ण भाजपा में भी अब इन ईस्वी, सदियों का उल्लेख बंद हो गया है। मोदी जी की मुस्कुराहट और हंसी में कोई रौब नहीं रह गया है। वे अब ऐसे परिवार के मुखिया हैं जो उनका अपना नहीं है। कब कौन रूठकर परिवार छोड़ दे, कहा नहीं जा सकता।
१९७७ से अब तक कई गठबंधन सरकारें बन चुकी हैं। इनमें कुछ अल्पमत गठबंधन रहे हैं, जिनमें गठबंधन को बहुमत के लिए बाहरी समर्थन की आवश्यकता पड़ी थी। १९७९ में चरण सिंह सरकार, वी.पी. सिंह की जनता दल के नेतृत्ववाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, १९९१ में पी.वी. नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार, देवेगौड़ा और आई के गुजराल की संयुक्त मोर्चा सरकारें, १९९८-९९ और १९९९-२००४ की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकारें, २००४-०९ और २००९-१४ की कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकारें थीं और अब भाजपा की गठबंधन सरकार केंद्र में है।
जब भाजपा के पास अकेले दम पर बहुमत था, तब मोदी जी के तेवर ही अलग थे। ऐसे गठबंधन में सत्ता की कमान प्रमुख पार्टी के पक्ष में होती है, क्योंकि आम तौर पर कोई भी भागीदार बहुमत के लिए निर्णायक नहीं होता है। वर्तमान मामले में, सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास २४० सीटें हैं। बीजेपी और मंत्रिमंडल में नौ सहयोगी दलों का योग २८७ है, और पांच अन्य एनडीए भागीदारों के साथ २९३ है। २७२ के बहुमत से गठबंधन को वंचित करने के लिए कम से कम दो सहयोगियों के बाहर निकलने की आवश्यकता होगी। चार सबसे बड़े भागीदारों के पास १६,१२, सात और पांच सीटें हैं। तेलुगू देशम पार्टी की सहयोगी पवन कल्याण की जनसेना के दो सांसद हैं। इसके लिए मोदी जी को सामान्य तौर पर काफी समन्वय करने की आवश्यकता होगी। राज्यों के क्षत्रप हावी होने की कोशिश करेंगे। भारतीय जानता पार्टी को सरकार बचाए रखने के लिए इस तरह के सत्ता समीकरण में सावधानी से चलना होगा, ताकि किसी तरह के असंतोष को बढ़ावा न मिले।
लोकसभा चुनाव में मोदी जी को मिली करारी हार के बाद अब सबकी निगाहें सितंबर २०२४ से नवंबर २०२५ के बीच होनेवाले विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं। तीन राज्यों-हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में इसी वर्ष चुनाव संपन्न हो जाएंगे, जबकि दिल्ली और बिहार में वर्ष २०२५ में विधानसभा चुनाव होंगे। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सितंबर २०२४ से पहले होने की उम्मीद है। इनमें से इसी वर्ष होने वाले तीन राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड में चुनावी माहौल शुरू हो चुका है। इनमें से महाराष्ट्र और झारखंड पर सबसे ज्यादा नजर रहेगी, क्योंकि इन दो राज्यों में ही मोदी सरकार ने ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभागों का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया है। लोकसभा चुनाव में जनता ने इन दोनों राज्यों में मोदी सरकार को सबक सिखा दिया है। अब इंतजार विधानसभा चुनावों का है।
इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर के आसपास होंगे, जो कि लोकसभा चुनाव २०२४ के करीब पांच महीने बाद होंगे। महाराष्ट्र में महायुति को महाविकास आघाड़ी ने तगड़ा झटका दिया, वहीं हरियाणा में भाजपा की सीटें दस से घटकर पांच रह गर्इं। आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, लोकसभा चुनावों जैसा ही नतीजा दिखेगा। लोकसभा चुनाव में प्राप्त वोटों के आंकड़ों के मुताबिक, महाविकास आघाड़ी २८८ में से १८४ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा गठबंधन से आगे है। यह आंकड़ा विधानसभा चुनाव में दो सौ को भी पार कर सकता है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी २०२५ में होने की संभावना है। झारखंड में विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर २०२४ में होने हैं। हरियाणा में राजनीतिक घटनाक्रम और लोकसभा चुनाव परिणामों को देखते हुए, कांग्रेस विधानसभा चुनावों को लेकर उत्साहित है। भाजपा और कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में पांच-पांच सीटें हासिल कीं। भाजपा का वोट शेयर २०१९ के लोकसभा चुनावों में ५८.०२ प्रतिशत से घटकर २०२४ में ४६.११ प्रतिशत रह गया। २०२४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर २८.४२ प्रतिशत से बढ़कर ४३.६७ प्रतिशत हो गया। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में वोटिंग पैटर्न के अनुसार, इंडिया गठबंधन ४६ विधानसभा क्षेत्रों में आगे है, जबकि भाजपा ४४ क्षेत्रों में आगे है। साथ ही, हाल ही में, हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जो दर्शाता है कि राज्य सरकार के लिए संकट पैदा हो रहा है। बिहार में विधानसभा चुनाव २०२५ में अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है। नीतीश कुमार की जेडी (यू) वर्तमान में राज्य में सत्ता में है और भाजपा के साथ गठबंधन में है। यह गठबंधन भी बहुत कच्चा है और इसके टूटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
लोकसभा चुनाव में तगड़े झटके के बाद और महाराष्ट्र में भाजपा की तयशुदा हार के बीच में जम्मू और कश्मीर में भी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि जून २०२४ से भाजपा और मोदी जी की पराजय का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह अगले डेढ़ दो वर्षों तक रुकता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा है।
(लेखक कई पत्र पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं और वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं)

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