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‘राज’ नीति : बाबा का क्या होगा

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान में बाबा के नाम से मशहूर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। किरोड़ीलाल मीणा विधानसभा सत्र में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कह दिया है कि मैं अब किसी भी परिस्थिति में मंत्री पद से इस्तीफा वापस नहीं लूंगा। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी दो बार मुलाकात की थी। मगर उसके बाद भी वे इस्तीफा देने की बात पर अड़े हुए हैं। हाल ही में उन्होंने पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह से भेंट कर उन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा में की गई धांधली के सबूत सौंप कर उनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है। किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि यदि १५ दिनों में राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई तो वे धरना देखकर आंदोलन शुरू कर देंगे। किरोड़ीलाल मीणा राजस्थान में अपनी जुझारू छवि के लिए जाने जाते हैं। अपने अक्खड़ स्वभाव के चलते ही किरोड़ीलाल मीणा कई बार पार्टी लाइन से हटकर भी धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। उनकी चेतावनी को सरकार कितनी गंभीरता से लेगी, इसका पता तो बाद में चलेगा।

पद से हटाए गए जोशी
राजस्थान में भाजपा के निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पद से हटा दिया। उनका कार्यकाल अप्रैल २०२६ तक था। पार्टी के संविधान के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, लेकिन सीपी जोशी महज १६ महीने ही प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर रह सके। जोशी को पद से हटाए जाने की अटकलें पिछले सात महीने से चल रही थीं। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अब जोशी के स्थान पर मदन राठौड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। जोशी को हटाए जाने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई है कि आखिर इतने कम समय के लिए पार्टी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी क्यों सौंपी। चर्चा हैं कि लोकसभा चुनाव में ११ सीटें गंवाने की सजा मिली है। जोशी को हटाने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही है। एक तो लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक चुनाव परिणाम नहीं आना और दूसरा सोशल इंजीनियरिंग के चलते जोशी को प्रदेशाध्यक्ष पद पर रखना उचित नहीं लगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व जोशी दोनों ब्राह्मण समाज से हैं। पार्टी ने मूल ओबीसी नेता को बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए जोशी से कुर्सी खाली करवाई है।

भाजपा को बैरवा की गुडबाय
राजस्थान में सियासी हलचल देखने को मिल रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए एवं सचिन पायलट के करीबी माने जानेवाले खिलाड़ीलाल बैरवा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। बैरवा ने भाजपा की विचारधारा से सहमत न होने की बात कहते हुए भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को इस बाबत पत्र लिखा है। इसी साल लोकसभा चुनाव से पूर्व मार्च में बैरवा कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। खिलाड़ीलाल बैरवा पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष थे। वे सांसद व विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था मगर बुरी तरह हार गए थे। फिर वो भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बैरवा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दो अलग-अलग विचारधारा हैं। मैं कांग्रेस से लंबे वक्त से जुड़ा था। कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा कुछ ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई थी, जिसके कारण मुझे मजबूरन पार्टी छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा में रहते हुए हमने काम करने और जनता की सेवा करने की कोशिश की, लेकिन मैं भाजपा में एडजस्ट नहीं कर पा रहा हूं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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