रमेश सर्राफ धमोरा, झुंझुनू
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में राजस्थान में १७ नए जिलों के गठन की घोषणा की थी। उन्होंने जयपुर-जोधपुर शहर में दो-दो जिले बनाने की बात कही थी, मगर बाद में वहां के जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध कर दिया था। मुख्यमंत्री ने नव घोषित १५ जिलों में ओएसडी की नियुक्तियां कर दी हैं, जबकि जयपुर और जोधपुर में स्थिति पूर्ववत ही रखी गई है। इससे लगता है कि जयपुर व जोधपुर जिलों को नहीं छेड़ा जाएगा। १५ जिलों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ओएसडी बनाकर उन्हें वहां के जिला कलेक्टर के साथ मिलकर नए जिलों की राजस्व सीमा का निर्धारण करना होगा। इसके लिए तहसील को इकाई मानकर सीमा निर्धारण का काम होगा। चूंकि अभी तक नए जिलों के गठन की गजट अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इसलिए वहां जिला कलेक्टर नहीं लगाए जा सकते हैं। जून महीने के अंत तक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। उसके बाद वहां तैनात ओएसडी जिला कलेक्टर बन जाएंगे।
याद आए भैरोंबाबा
राजस्थान विधानसभा के अगले चुनाव को देखते हुए भाजपा भैरोंसिंह शेखावत को याद करने लगी है। राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री व देश के उपराष्ट्रपति रहे भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान में भाजपा के संस्थापक नेता थे। उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने ही वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति में स्थापित किया था। मगर बाद में वसुंधरा राजे का उनसे ३६ का आंकड़ा हो गया था। स्थिति यहां तक आ गई थी कि वसुंधरा राजे उनके दामाद नरपत सिंह राजवी को टिकट तक देने को तैयार नहीं थीं। बाद में आलाकमान के हस्तक्षेप से राजवी को बनीपार्क से टिकट देकर प्रत्याशी बनाया गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे से नाराज राजपूत समाज के वोटों को फिर से जोड़ने के लिए प्रदेश भाजपा द्वारा भैरोंसिंह शेखावत की याद में १५ मई से १३ अक्टूबर तक उनका जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है, गत दिनों शेखावत के पैतृक गांव में एक स्मृति सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित सभी बड़े नेता शामिल हुए थे। उसी श्रृंखला में भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में निरंतर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
पायलट की ललकार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। सचिन पायलट ने आरपीएससी में व्याप्त घोटाले, पेपर लीक प्रकरण व वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ रुपयों के घोटाले को लेकर एक महीने पहले जयपुर में एक दिन का अनशन किया था। अब हाल ही में पायलट ने अजमेर से जयपुर तक १२५ किलोमीटर की पांच दिवसीय पदयात्रा कर लड़ाई को सड़कों पर ला दिया है। पायलट की पदयात्रा के समापन के अवसर पर बड़ी तादाद में भीड़ जुटी थी। जनसभा में राज्य सरकार के दो मंत्री सहित तकरीबन १५ विधायक शामिल हुए थे। सबसे बड़ी बात प्रदेश के वरिष्ठ जाट नेता व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह का पायलट की जनसभा में पहुंचना और सभा को संबोधित करना था। पायलट की जनसभा के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पर दबाव बनाए हुए हैं कि पायलट की पदयात्रा व जनसभा को पार्टी विरोधी गतिविधि करार देकर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
डोटासरा जाएंगे
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को कभी भी पद से हटाया जा सकता है। ऐसे में चर्चा है कि उनकी अध्यक्ष के रूप में परफॉर्मेंस भी अच्छी नहीं रही है। प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले डोटासरा शिक्षा राज्यमंत्री थे। उस समय उनका विभाग अध्यापकों के तबादलों व शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर आउट होने को लेकर खासा चर्चित रहा था। सचिन पायलट के बगावत करने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनवा कर मंत्री पद से मुक्त कर दिया था। तब से डोटासरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। मगर प्रदेश में वह अपनी अलग पहचान नहीं बना पाए हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट को बगावत से रोकने के लिए पार्टी आलाकमान उनको या उनके किसी समर्थक को फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर राजस्थान में पायलट-गहलोत विवाद को रोक सकता है।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं
एवं राजनैतिक मामलों के विशेषज्ञ हैं।)