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‘राज’नीति : मौर्य को कर दिया हूट

रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू

जयपुर में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के भाषण देने के दौरान अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। लगातार हो रही नारेबाजी के कारण केशव प्रसाद मौर्य ने अपना भाषण बीच में छोड़ दिया। मौर्य जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित माली महासंगम कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में हजारों की तादाद में माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, मौर्या, सुमन, वनमाली और भोली माली समाज के लोग शामिल हुए थे। जैसे ही मौर्य ने बोलना शुरू किया और बीजेपी सरकार की प्रशंसा की गहलोत समर्थकों ने नारे लगाने शुरू कर दिए, जिससे मौर्या को बीच में ही रुकना पड़ा। हालांकि, आयोजकों ने शांति बनाए रखने का अनुरोध किया। मौर्य ने यह कहते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की कि वह समुदाय की मांगों को सही मंच पर उठाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर मेरे खिलाफ कोई शिकायत है तो इसे लिखित रूप में व्यक्त किया जाना चाहिए। इसके बाद मौर्य सभा से चले गए।
चर्चा में वसुंधरा
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों चर्चा में बनी हुई हैं। समाचार पत्रों, टीवी चैनल्स व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भाजपा में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर उनको सबसे आगे बताया जा रहा है। वसुंधरा राजे के बढ़ते प्रचार को देखकर पार्टी में उनके विरोधी खेमे के लोग सतर्क होकर अंदर खाने इसके कारणों की जांच करने लगे। तब उन्हें पता लगा कि यह काम वसुंधरा राजे के प्रचार का काम देख रही एजेंसी का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अजमेर यात्रा के बाद वसुंधरा राजे के समर्थन में अचानक ही जोर शोर से अभियान चलाया जाने लगा कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा करवाए गए सर्वे में भाजपा में सबसे लोकप्रिय नेता वसुंधरा ही है। मोदी की अजमेर यात्रा का सबसे अधिक फायदा वसुंधरा राजे को ही मिला है, जबकि हकीकत यह है कि मोदी की अजमेर यात्रा के दौरान मंच से अधिकांश नेताओं के भाषण हुए थे। मगर वसुंधरा राजे को तो वहां बोलने का अवसर भी नहीं मिल पाया था। फिर अचानक ही वे सबसे पॉपुलर चेहरा बनकर वैâसे ऊभर आर्इं। वसुंधरा विरोधी खेमे के नेता अब इसकी काट खोजने में जुटे हैं।
असमंजस में पायलट
कांग्रेस नेता सचिन पायलट इन दिनों असमंजस में फंसे हुए हैं। अजमेर से जयपुर तक तपती धूप में पांच दिनों तक १२५ किलोमीटर लंबी पदयात्रा करने पर उन्हें अपार जनसमर्थन मिला था। उससे लगने लगा था कि अब कांग्रेस आलाकमान पायलट को लेकर कोई बड़ा पैâसला करेगा और उन्हें पार्टी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बराबर का पद देकर संतुष्ट करेगी। मगर उन्हें मिला कुछ नहीं, जबकि उनका ३० मई तक का अल्टीमेटम का समय भी पूरा हो चुका है। कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के घर पर एक मीटिंग आयोजित की थी, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए थे। मीटिंग के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गहलोत व पायलट को साथ लेकर खड़गे के आवास के बाहर एक प्रेस कॉन्प्रâेंस कर बताया कि पार्टी आलाकमान ने दोनों नेताओं में सुलह करवा दी है। आपसी सुलह का फार्मूला क्या था इसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। हालांकि, पायलट अपनी तीनों मांगों पर अभी भी कायम है।
दौड़ से बाहर हुए वैष्णव
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इन दिनों सभी लोगों के निशाने पर आ गए हैं। उड़ीसा के बालासोर में हुई बड़ी रेल दुर्घटना में २८८ लोगों की मौत हो गई। उस घटना के बाद से देश के सभी विपक्षी दल एक सुर में वैष्णव का इस्तीफा मांग रहे हैं। रेल दुर्घटना के बाद लोगों का मानना है कि वैष्णव रेलवे में जितनी विकास की बातें करते हैं। धरातल पर उतनी बातें सही नहीं है। वह मीडिया में छाए रहने के लिए ऐसा करते हैं। राजस्थान में पाली जिले के रहने वाले अश्विनी वैष्णव का नाम राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के लिए भी चलने लगा था। मगर बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद उनका हासिए पर जाना तय लग रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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