मुख्यपृष्ठस्तंभराज ‘तंत्र’ : गडकरी का विशेष ज्ञान!

राज ‘तंत्र’ : गडकरी का विशेष ज्ञान!

अरुण कुमार गुप्ता

२१वीं सदी में नई पीढ़ी में लिव इन रिलेशनशिप वाला कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। इस नए कल्चर ने समाज में एक नई बहस छेड़ दी है। बहस होनी भी चाहिए, क्योंकि यह समाज के साथ-साथ युवा पीढ़ी के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इन रिश्तों का विरोध करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप सही नहीं है। ब्रिटेन दौरे के दौरान नितिन गडकरी ने रिलेशनशिप में रहने का अपना अनुभव भी साझा किया। लिव इन रिलेशनशिप के बारे में गडकरी ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप गलत है। गडकरी ने कहा कि अगर आप जीवन के सामाजिक ढांचे को नष्ट कर देंगे तो क्या होगा? बच्चों को जन्म देने के बाद उनकी जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। लिव इन रिलेशनशिप सही नहीं है। यह समाज को नष्ट कर देगा। यह समाज क्यों है? क्योंकि महिलाओं और पुरुषों का अनुपात ठीक है। लड़की से लड़की और लड़के से लड़के की शादियां समाज को नष्ट कर देंगी। एसे में यह कहना उचित होगा कि गडकरी का यह विशेष ज्ञान संभवत युवा पीढ़ी को समझ में आ जाए और वह इस नए कल्चर से अपने आपको दूर रखे।

शिंदे की राजनीति पर बीजेपी का ब्रेक!
महाराष्ट्र की राजनीति में कयासों का दौर अब खत्म हो गया है और सभी अटकलों पर विराम लग चुका है। दूसरी ओर बीजेपी ने घाती यानी एकनाथ शिंदे की राजनीति पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है और उनसे वादा करके डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलवा दी और उनके मनपसंद मंत्रालय को भी नहीं दिया है। बीजेपी ने चुनाव जीतने के बाद शिंदे से पहले सीएम पद ले लिया, जिसके बाद गृह मंत्रालय फिर महाराष्ट्र में उनकी राजनीति को खत्म करने का मन बना लिया है। बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसके पास १३२ विधायक हैं और बीजेपी को सरकार चलाने के लिए १६ विधायकों की जरूरत है। बीजेपी की सेवा में अजीत पवार पूरी तरह से समर्पित हैं। ऐसे में बीजेपी को एकनाथ शिंदे की कोई खास जरूरत नहीं हैं। बीजेपी महाराष्ट्र की राजनीति में जो करना चाहती थी, उस मनसूबे में कामयाब हो गई, लेकिन अपनों से बगावत करके बीजेपी के साथ आए एकनाथ शिंदे को अपनों से बगावत करने का इनाम मिल रहा है। बीजेपी ने पहले अपने फायदे के लिए शिंदे को सीएम बना दिया और विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीट पाने के बाद शिंदे से किनारा कर लिया। इस बीच एकनाथ शिंदे ने खूब पैंतरेबाजी की, लेकिन उनका कोई भी पैंतरा काम नहीं आया और अजीत पवार ने बाजी मार ली है और खुशी-खुशी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने झुनझुना थमा दिया है।

मंत्रियों पर मान-मनव्वल की जिम्मेदारी!
राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के नाराज नेताओं को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। उधर खबर है कि अब नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी मंत्रियों को दी गई है। यहां पत्रकारों से बातचीत में मंत्री उदय सामंत ने यह बात स्वीकार की है कि मंत्री पद नहीं दिए जाने के कारण पार्टी के कुछ विधायकों में नाराजगी है। सामंत आगे यह भी जोड़ते हैं कि नाराज विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी मंत्रियों पर डाली गई है। महाराष्ट्र विधानसभा में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में १५ दिसंबर को भारतीय जनता पार्टी, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट की महायुति के ३९ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। पिछली महायुति सरकार के १० मंत्रियों को इस बार मौका नहीं दिया गया, जबकि १६ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। भाजपा को १९ मंत्री पद मिले, जबकि एकनाथ शिंदे गुट को ११ और अजीत पवार गुट को नौ मंत्री पद मिले। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नाराज विधायकों को मनाने में मंत्रियों को सफलता मिलती है या नहीं।

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