मुख्यपृष्ठस्तंभराज ‘तंत्र’ : लाडली बहनों का इंतजार!

राज ‘तंत्र’ : लाडली बहनों का इंतजार!

अरुण कुमार गुप्ता

लाडली बहनों को १,५०० मिलेंगे या २,१००? लाभार्थी बहनें दिसंबर की किश्त का इंतजार कर रही हैं। आचार संहिता में फंसने से बचने के लिए, नवंबर माह की १,५०० रुपए की किश्त दो माह के लिए अक्टूबर माह में ही बहनों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी। अब जब नई सरकार बन गई है तो बहनों का ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि दिसंबर की किस्त बैंक में कब जमा होगी। बता दें कि चुनाव को देखते हुए घाती सरकार ने महिलाओं के बैंक खातों में हर महीने १,५०० रुपए जमा करना शुरू किया था। सरकार ने राज्य में पहली बार मुख्यमंत्री माझी लाड़की योजना के तहत महिलाओं के बैंक खातों में पैसा जमा किया है। अब तक महिलाओं के खातों में ७,५०० रुपए जमा हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण यह योजना लागू नहीं हो सकी थी, लेकिन अब जबकि आचार संहिता समाप्त हो गई है और नया मंत्रिमंडल बन गया है, जिसमें एक मुख्यमंत्री और २ उपमुख्यमंत्री भी शामिल हैं तो लाडली बहनों का ध्यान इस बात पर है कि दिसंबर की किश्त कब और कितनी जमा होगी। क्या उन्हें २,१०० मिलेंगे? विधानसभा चुनाव में प्रमुखता से लाड़की बहिन योजना को चुनावी मुद्दा बनाया गया था। महायुति ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद इसे बढ़ाकर २,१०० रुपए प्रतिमाह कर दिया जाएगा। अब जब महायुति सरकार फिर से चुनकर आई है तो क्या लाडली बहनों को २,१०० रुपए की किश्त कब मिलेगी ? इसका इंतजार है।

दोनों में से एक चुनें!
महायुति को सत्ता में आए लगभग एक माह होने वाले हैं, लेकिन विभागों का बंटवारा नहीं हुआ। अनुमान लगाया जा रहा था कि महायुति को स्पष्ट बहुमत मिला है इसलिए मंत्रिमंडल का गठन शीघ्र हो जाएगा और विभागों का बंटवारा होने के बाद सरकार काम शुरू कर देगी, लेकिन हकीकत में सरकार बनाने में दो सप्ताह लग गए। मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह १० दिन बाद आयोजित किया गया, लेकिन शपथ ग्रहण के ७ दिन बाद विभागों का आवंटन हुआ। अब तक मुख्यमंत्री को छोड़कर बाकी सभी बिना विभाग वाले मंत्री रहे। ५ दिसंबर को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न होने के बाद १५ दिसंबर को ३९ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। तब से ही अकाउंट साझा करने पर चर्चा चल रही है, लेकिन विभाग आवंटन को अंतिम रूप नहीं दिया गया। बताया जाता है कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को वित्त व अन्य मंत्रालय दिए जाएंगे। पिछली सरकार में अजीत पवार वित्त मंत्री और पुणे के पालक मंत्री का पद संभाल चुके हैं। अब भाजपा ने अजीत पवार से साफ कह दिया है कि ऐसा नहीं होगा। दोनों में से एक ही मिलेगा। माना जा रहा है कि विभाग आवंटन में हुई देरी की वजह से अजीत पवार नाराज हैं। अजीत पवार वित्त मंत्री के पद पर अड़े हुए थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अजीत कौन सी राह अपनाते हैं या वित्त मंत्री बनकर ही खुश रहते हैं।

परमानेंट उपमुख्यमंत्री को बधाई!
लोग आपको परमानेंट उपमुख्यमंत्री कहते हैं, लेकिन मैं कहता हूं आप एक दिन मुख्यमंत्री जरूर बनेंगे। इस तरह के तंज भरे लहजे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार को शुभकामनाएं दीं। जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्यपाल के अभिभाषण पर बधाई प्रस्ताव पर सदन में हुई बहस का जवाब देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार की जमकर बखिया उधेड़ी। अजीत पवार की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है। अजीत दादा के समर्थक हमेशा उनका नाम भावी मुख्यमंत्री के तौर पर आगे रखते हैं, लेकिन पार्टी के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण उन्हें कभी मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिल सका। महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में सबसे ज्यादा बार उपमुख्यमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड अजीत पवार के नाम जरूर है। हाल ही में महायुति सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की छठी बार शपथ ली। राजनीतिक गलियारों में दावा किया गया कि राज्य के उपमुख्यमंत्री पद पर रहने वाला व्यक्ति कभी भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता इसलिए हालिया विधानसभा चुनाव के बाद अजीत दादा को स्थायी उपमुख्यमंत्री के रूप में ताना मारा जाना लाजिमी भी है।

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