एनडीए ने केंद्र सरकार में अपनी हुकूमत के ९ वर्ष पूरे कर लिए हैं। इसके साथ ही अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम साल में कदम आगे बढ़ा दिया है। खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ विगत ९ वर्ष की सफलता और असफलता की समीक्षाएं सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपने-अपने हिसाब करनी भी आरंभ कर दी हैं। केंद्र सरकार के ९ वर्ष पूरे होने पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ९ सवाल पूछे हैं। हालांकि, सरकार विपक्ष के सवालों को हमेशा की तरह इस बार भी दरकिनार कर चुकी है। जवाब देने के बजाय सत्तापक्ष के लोग अपनी उपलब्धियों पर ढोल-नगाड़े पीट रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार की कथित उपलब्धियों को विपक्ष पूरी तरह से नकार रहा है। फिलहाल, उपलब्धि की जहां तक बात है तो भारतीय जनता पार्टी विदेशों में प्रधानमंत्री और भारत को मिल रहे सम्मान का प्रमुखता से प्रचार कर रही है, वहीं सरकार के स्तर पर कश्मीर से ३७० को हटाना, तीन तलाक को खत्म करना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेजी से करवाना, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना, जैसे तमाम मुद्दों को प्रचारित किया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में पांच-छह राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके ठीक बाद आम चुनाव होंगे। इन चुनावों में २०१४ और २०१९ जैसी सफलता मिलने की उम्मीद के साथ भाजपा ने कमर कस ली है और तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि २०२४ की फिजा पिछले चुनावों से अलहदा है। कर्नाटक जीतने के बाद कांग्रेस केंद्र सरकार पर हावी है। संसद के नए भवन के उद्घाटन के विरोध के अलावा कांग्रेस, सरकार से ९ सवाल कर रही है।
केंद्र सरकार के ९ वर्षीय कार्यकाल को लेकर कांग्रेस द्वारा दागे गए ९ सवालों की जहां तक बात है, तो उसका जवाब देने में केंद्र सरकार पूरी तरह से असहज है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को घेरते हुए कहा है कि झूठे वादों और जनता की दुर्दशा पर मोदी ने बड़ी इमारत खड़ी की है? राहुल ने कहा प्रधानमंत्री को महंगाई, नफरत और बेरोजगारी जैसी नाकामियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कांग्रेस महंगाई और बेरोजगार मसले पर जवाब चाहती है, जिस पर सरकार ने कभी खुलकर कोई स्पष्टीकरण आजतक नहीं दिया, शायद आगे भी न दे। कांग्रेस केंद्र सरकार से जॉब देने का हिसाब मांग रही है, जबकि करोड़ों पद सालों से विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त पड़े हैं। इसके अलावा कांग्रेस केंद्र से विपक्षी नेताओं पर की जा रही ताबड़तोड़ ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स की छापेमारी पर भी जवाब चाहती है। ये बड़ा सवाल दागा गया है। इस पर संसद में भी बहस हो चुकी है। कांग्रेस ने जो ९ सवाल पूछे हैं, उनमें प्रमुख रूप से गड़बड़ हुई अर्थव्यवस्था, किसानों और कृषि समस्याएं, बढ़ता भ्रष्टाचार, चीनी घुसपैठ से राष्ट्रीय सुरक्षा को महसूस होता खतरा, सामाजिक सद्भाव में पैâली नफरत, कोविड कुप्रबंधन जैसे मसलों पर कांग्रेस ने सरकार से जवाब मांगा है। इस मांग पर भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कह दिया कि कांग्रेस के ९ सवाल झूठ का पुलिंदा हैं, जो उनकी बेशर्मी की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं। रविशंकर के इस तर्क पर चुनावी पंड़ित कहते हैं, ये कहने के बजाय उन्हें सवालों का सीधा जवाब देना चाहिए था। क्योंकि सत्ता से सवाल पूछना कोई गुनाह नहीं होता, बल्कि उनका पहला धर्म होता है।
अब बात करते हैं ९१ गालियों की, जिन्हें प्रधानमंत्री ने बीते ९ वर्षों से गिन कर रखा है। कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक रैली में कहा था कि कांग्रेस के नेताओं ने उनको एक-दो नहीं, बल्कि ९१ गालियों दीं, जिस पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सबसे पहले प्रधानमंत्री को घेरा। उन्होंने कहा, ताज्जुब की बात है, देश में समस्याओं की भरमार है जो प्रधानमंत्री को नहीं दिखती, उन समस्याओं का भी हिसाब प्रधानमंत्री के पास होना चाहिए। दिल्ली के जंतर-मंतर पर महीने से ज्यादा समय हो गया जहां महिला पहलवान धरने पर बैठी हैं, वो भी प्रधानमंत्री को दिखाई नहीं देती। किसान १३ महीने दिल्ली की सड़कों पर बैठे रहे, तब भी चुप रहे। लेकिन उन्होंने ९१ गालियों का हिसाब अच्छे से रखा। प्रियंका के अलावा अन्य नेताओं ने भी प्रधानमंत्री को इस मुद्दों को लेकर घेरा हुआ है। अब उनसे कुछ बोलते भी नहीं बन रहा। नया बखेड़ा उनकी जान पर नई संसद को लेकर खड़ा हो गया है। ऐसा लगता है कि उनके सभी दांव अब उल्टे पड़ने लगे हैं। नई संसद के उदघाटन के मौके पर राष्ट्रपति को निमंत्रण नहीं देने के पैâसले को सभी विपक्षी पार्टियों ने दलितों और आदिवासियों के अपमान से जोड़ दिया है। ठीक उसी तरह जब राहुल गांधी द्वारा मोदी सरनेम पर कहे वाक्य को भाजपा ने पूरे ओबीसी समाज से जोड़ा था। फिलहाल, नई ससंद पर उठे रार ने २०२४ की राजनीति की नई तस्वीर को उजागर कर दिया है। विपक्ष, पूरे देश में ये संदेश प्रसारित करने में सफल हुआ है कि प्रधानमंत्री ने दलितों और आदिवासी समाज का अपमान किया है। कुल मिलाकर २०२४ की लड़ाई यहीं से और दिलचस्प हो चली है।
डॉ. रमेश ठाकुर
(लेखक राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान, भारत सरकार के सदस्य, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं।)