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राजनाथ ने खोल दिए वायुसेना के ‘राज’!..छूट के चक्कर में विदेशी उबर के हाथों सौंप दी डेटाबेस की चाबी…सुरक्षा विशेषज्ञों ने दिए गंभीर नतीजों के संकेत

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

एक तरफ देश के चारों तरफ दुश्मनों की संख्या बढ़ती जा रही है, दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में वायुसेना के ‘राज’ खुलने का खतरा पैदा हो गया है। असल में भारतीय वायुसेना ने गत महीने ऐप आधारित विदेशी टैक्सी कंपनी उबर के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत वायुसैनिकों व उनके परिवार के लिए उबर छूट के साथ स्पेशल राइड की सुविधा देगा। पर इससे उनका लोकेशन ट्रेस होगा। ऐसे में सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ ही कई पूर्व सैनिकों ने रक्षा मंत्रालय के इस कृत्य की भर्त्सना की है। उनका कहना है कि एक तो देश के चारों तरफ से दुश्मनों का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
लोगों के विरोध के बाद बैकफुट पर सरकार!

ऐप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाता विदेशी कंपनी उबर के साथ भारतीय वायुसेना ने एक समझौता किया है। इसके तहत वायुसैनिक और उनके परिवार के लिए उबर विशेष सुविधाजनक राइड की व्यवस्था करेगा। वायुसेना ने खुद ‘एक्स’ पर समझौते की तस्वीर जारी करके इसकी जानकारी दी। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी खूब आलोचना की। लोगों के विरोध के बाद वायुसेना बैकफुट पर आ गई और उसने वह पोस्ट हटा दिया। मगर यह समझौता अभी भी कायम है या फिर इसे रद्द किया गया है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि सेना के साथ इस तरह की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बता दें कि भारतीय वायुसेना और उबर के बीच हाल ही में एक समझौता हुआ था, इसका उद्देश्य वायुसेना कर्मियों और उनके परिवार की आधिकारिक यात्रा और आवागमन को सुविधाजनक बनाना है, लेकिन इस समझौते ने आम जनता, दिग्गजों और विशेषज्ञों की टेंशन बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस एमओयू के जरिए डेटा एक्सपोजर, लोकेशन ट्रैकिंग, थर्ड-पार्टी ऐप्स द्वारा संवेदनशील जानकारी शेयर करना और एक्सेस करना संभव होगा। भारतीय वायुसेना और उबर के बीच हुए एमओयू को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) कंवलजीत सिंह ढिल्लों सहित कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि इसके जरिए आप व्यावहारिक रूप से वायुसेना कर्मियों को जियो-टैग कर रहे हैं, जिससे उनकी लाइव ट्रैकिंग की जा सकेगा। यह असुरक्षा का माहौल पैदा करेगा। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि इस पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। एक अन्य सेवानिवृत्त सेना अधिकारी और तकनीकी उद्यमी पवित्रन राजन ने भी इसी तरह के विचार साझा किए और कहा कि डेटा का स्थानीयकरण, स्वदेशी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के बिना, मजबूत डेटा गोपनीयता कानून असंभव है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी नहीं है कि सैन्य अधिकारियों का सार्वजनिक रूप से उपहास किया जा रहा है और उन्हें कमतर आंका जा रहा है। राजन ने कहा कि अब महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत के पास संप्रभु साइबरस्पेस और भारत की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनों के बारे में बहस की जाए। यह भारत की सैन्य रक्षा के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि डेटा स्थानीयकरण और स्वदेशी आईसीटी के बिना, मजबूत गोपनीयता कानून असंभव है।
बता दें कि भारतीय वायुसेना ने १८ अक्टूबर को वायुसेना कर्मियों और उनके परिवारों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए उबर के साथ एक समझौता किया था, इसकी पुष्टि भारतीय वायुसेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर की थी। पोस्ट में वायुसेना ने कहा कि वायुसेना कर्मियों और उनके परिवारों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए एयर वाइस मार्शल उपदेश शर्मा और उबर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। बाद में सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद वायुसेना ने इस पोस्ट को हटा दिया।

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