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राज का यक्षप्रश्न!

हमारे देश में चुनाव और चुनाव प्रणाली लागू करनेवाली व्यवस्था लुटेरों का गिरोह बन गई है। भारतीय जनता पार्टी से खास नजदीकी रखनेवाले ‘मनसे’ प्रमुख राज ठाकरे ने अचानक महाराष्ट्र चुनाव नतीजों पर संदेह व्यक्त किया है। उनकी भूमिका थी कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनें, लेकिन अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो राज ने महाराष्ट्र के समग्र नतीजों पर आपत्ति जताई है। राज ठाकरे कह रहे हैं कि फडणवीस और उनके लोग ‘ईवीएम’ घोटाले करके ही सत्ता में आए हैं और वे सभी अवैध हैं। भाजपा ने महाराष्ट्र की राजनीति को गंदे स्तर पर पहुंचाकर रख दिया है। इनका मुख्य ध्येय लोगों को तोड़ना और अपना (साथ बांधना) है। उनकी रणनीति जगह-जगह वोट बांटकर जीत हासिल करने की है। मराठी लोगों के वोट बांटने के लिए ‘मनसे’ और दलित का वोट तोड़ने के लिए ‘वंचित’ का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों की मदद से फडणवीस और अमित शाह महाराष्ट्र में अपने मंसूबे को अंजाम देते हैं और ये बात छुपी हुई नहीं है। हैरानी की बात यह है कि वंचित के सर्वेसर्वा एड. प्रकाश आंबेडकर भी चुनाव नतीजों के बाद ‘ईवीएम’ पर टूट पड़े और अब काफी दिनों तक सोचने के बाद राज ठाकरे ने भी एलान कर दिया कि ‘ईवीएम’ नतीजे सही नहीं हैं। लोगों ने वोट तो दिए, लेकिन वो हम तक नहीं पहुंचे। यानी वोट उन्हें नहीं गए जिनका चुनाव चिह्न मतदाताओं ने ईवीएम पर दबाया। तो आखिर इन गायब वोटों का क्या हुआ? यह महाराष्ट्र के सामने एक गंभीर सवाल है। अगर राज के मन में ऐसी शंका कुलबुला रही है तो उन्हें सबसे पहले देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा मांगना चाहिए। भाजपा और उसके लोग अदृश्य वोटों की हेराफेरी करके महाराष्ट्र की सत्ता में आए हैं। उन सबके
सूत्रधार श्री फडणवीस ही
हैं। इसलिए राज्य में ‘ईवीएम’ के खिलाफ लड़ाई जारी है। महाराष्ट्र के नतीजे के बाद कई जगहों पर लोग सड़कों पर उतर आए। मालशिरस विधानसभा क्षेत्र में शरद पवार पार्टी के उत्तम जानकर निर्वाचित हुए, लेकिन इस विजयी विधायक को भी लगता है कि उन्हें अपेक्षित बहुमत नहीं मिला। वोटिंग मशीनों में निश्चित रूप से धांधली हुई है। मारकडवाडी गांव में हमें सबसे ज्यादा मतदान चाहिए थे। ऐसा क्यों नहीं हुआ? इस सवाल पर मारकडवाडी के लोग बैलेट पेपर पर चुनाव कराने के लिए सड़कों पर उतर आए। धुले ग्रामीण के कांग्रेस विधायक कुणाल पाटील को अपने ही गांव में शून्य वोट मिले। उस गांव के मतदाता भी कुणाल पाटील के समर्थन में सड़कों पर उतर आए। राज ने बताया कि उनके एकमात्र विधायक के गांव में मतदान कैसे हुआ। पूर्व विधायक राजू पाटील के गांव में १,४०० वोट हैं। पाटील को अपने ही गांव में एक भी वोट नहीं मिला। क्या यह संभव है? ये सवाल राज के जेहन में आया। अगर उन्हें इस सवाल का जवाब चाहिए तो उन्हें भाजपा में अपने मित्रों से निजी तौर पर गुफ्तगू करनी चाहिए। भाजपा सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इसी तरह से सभी चुनाव जीत रही है। इससे लोगों में एक तरह की दहशत और बेचैनी देखी जा रही है। हमारा संसदीय लोकतंत्र एक तरफ पैसे और दूसरी तरफ हैक की गई ईवीएम के बीच फंस गया है। तो क्या अब इसके चलते विपक्षी दलों के लोग आगे चुनाव लड़ सकेंगे? युवा कार्यकर्ता चुनाव से दूर भाग जाएंगे और भाजपा ईवीएम गठबंधन के साथ एकतरफा निर्वाचित होगी। ईवीएम घोटाले की वजह से भारतीय चुनाव अब लोकतंत्र के नाम पर शुरू किया गया ‘फार्स’ साबित हो रहा है। बालासाहेब थोरात जैसा मोहरा हार ही कैसे सकता है? राज द्वारा उठाया
गया सवाल उचित ही
है। एकमात्र सांसद वाले अजीत पवार के ४२ विधायक कैसे? या शरद पवार जिनके पास ८ सांसद हैं उनके केवल १० विधायक? ये सवाल तो लोगों के मन में थे, लेकिन काफी वक्त तक सोचने के बाद राज ठाकरे के मन में भी यही सवाल उठे। राज ठाकरे ने चुनाव नतीजों को लेकर जो सवाल पूछे हैं वो महाभारत के यक्षप्रश्नों की तरह हैं। महाभारत में युधिष्ठिर और यक्ष के बीच सवाल-जवाब और संवाद जितना दिलचस्प रहा होगा, राज द्वारा पूछे गए सवाल और फडणवीस द्वारा दिए गए जवाब भी उतने ही दिलचस्प हो सकते हैं। महाराष्ट्र भी इस उत्तर-संवाद का इंतजार कर रहा है। राज यक्ष की भूमिका में हैं या युधिष्ठिर की, यह इस क्षण समझा नहीं जा सकता। यक्ष की बात न मानकर जंगल में एक तालाब पर पानी पीने गए नकुल, सहदेव, भीम, अर्जुन मौके पर ही जान गवां बैठे, लेकिन युधिष्ठिर ने सभी यक्ष प्रश्नों का उत्तर दिया और अपने भाइयों को जीवित कर दिया, उसी तरह भाजपा द्वारा मारे गए लोकतंत्र को कौन पुनर्जीवित करेगा? राज के पास प्रश्न हैं। उन्हें जवाब की उम्मीद है। हालांकि, राज ठाकरे फिलहाल विधानसभा चुनाव नतीजों को लेकर प्रश्नों के साथ यक्ष की भूमिका में खड़े हैं। लेकिन फडणवीस, अमित शाह या भारत का चुनाव आयोग धर्मराज युधिष्ठिर नहीं हैं। यक्ष ने युधिष्ठिर से कुल १२५ प्रश्न पूछे, लेकिन वर्तमान यक्ष महाराज ने फडणवीस से केवल एक ही प्रश्न पूछा, ‘क्या आपकी जीत वास्तविक है? हमारे वोट कहां गए?’ यह एक प्रश्न १२५ यक्ष प्रश्नों के बराबर है।

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