सावन की मनमोह भोर,सुनो
ये सबको कहे पुकार,
आया घर की दहलीज पे,देखो
राखी का त्यौहार ।
आज आयेगी, थाल सजा कर,
सबकी प्यारी बहना,
इन्त॔जार, तुम करना बहन का,
दूर कही नही रहना,
अपनी प्यारी बहना को,
देना स्नेह और प्यार।
आया घर की दहलीज पे, देखो
राखी का त्यौहार।
वो सबकुछ छोड़,चली जाती,
एक दुनिया नयी बसाने,
नही भूलती फिर भी राखी के
पावन रिश्ते को निभाने,
प्रिय भाई को बांधती राखी,
कर खुशियों का इजहार।
आया घर की दहलीज पे देखो,
देखो का राखी त्यौहार।
पूरन ठाकुर जबलपुरी
कल्याण ईस्ट