सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार ने दो वर्ष पहले राज्य के नौ प्राचीन मंदिरों एवं गुफा-मूर्तियों का सर्वे कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिलाने का कार्य शुरू किया। हालांकि, भारतीय पुरातत्व विभाग ने कार्ला में एकवीरा देवी सहित पांच मंदिरों के जीर्णोद्धार कार्य में लगातार बाधा डाली है, इसलिए सवाल खड़ा हो गया है कि काम कब पूरा होगा। नौ में से ५ मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए २ साल से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन एएसआई की अनुमति नहीं मिल रही है।
इस परियोजना के तहत कार्ला में एकवीरा माता मंदिर, रत्नागिरी में धूतपापेश्वर मंदिर, कोल्हापुर के खिद्रापुर में कोपेश्वर मंदिर, नासिक सिन्नर में गोंडेश्वर मंदिर, छत्रपति संभाजीनगर में खंडोबा मंदिर, बीड के पुरूषोत्तमपुरी में भगवान पुरूषोत्तम मंदिर, अमरावती के लासूर में आनंदेश्वर मंदिर, गढ़चिरौली में मार्कंडेश्वर मंदिर, सातारा में उत्तेश्वर मंदिर का सर्वे किया जा रहा है। हालांकि, केवल चार मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया था। सरकार द्वारा यह कार्य २०२१ में किया गया। इसकी जिम्मेदारी एमएसआरडीसी को दी गई।
एएसआई से नहीं मिल रही अनुमति
कोपेश्वर मंदिर, गोदेश्वर मंदिर, आनंदेश्वर मंदिर, मार्कंडेश्वर मंदिर पुरातत्व विभाग (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। चूंकि एकवीरा माता मंदिर क्षेत्र में गुफाएं हैं, इसलिए जीर्णोद्धार के लिए एएसआई की अनुमति आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने दो वर्षों में इसकी अनुमति नहीं दी है, इसके विपरीत, एएसआई बार-बार बदलाव का सुझाव देता रहा है।
उत्तरेश्वर मंदिर विकास के लिए
वन विभाग की अनुमति लटकी
सतारा में उत्तेश्वर मंदिर वन विभाग परिसर में है। इसके सर्वे के लिए अभी तक वन विभाग की अनुमति नहीं मिल पाई है। सुविधा स्थापित करने के लिए वन विभाग से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। श्रद्धालु आवास, वैंâटीन आदि का कार्य शुरू कर दिया गया है। महाबलेश्वर से मंदिर तक जाने वाली सड़क का काम भी प्रगति पर है।