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राणा का था आतंकी रोडमैप : २६/११ के आतंकियों को दिलाना चाहता था … पाकिस्तान का शीर्ष सैन्य सम्मान!

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अमेरिका की एक अदालत ने २६/११ मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट के ४८ पेज के ऑर्डर में मुंबई आतंकी हमले में तहव्वुर राणा की भूमिका को साफ दिखाई देती है। कोर्ट ऑर्डर के दस्तावेजों के मुताबिक, मुंबई हमले के बाद के दिनों में निश्चिंत हो गया था। राणा का आतंकी रोडमैप था। वह चाहता था कि मुंबई हमले में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया जाए।
बता दें कि मुंबई के आंतकी हमले के सिलसिले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) तहव्वुर की पूरी भूमिका की पड़ताल कर रही है। इन हमलों में तहव्वुर ने आतंकियों को मदद पहुंचाई थी, इसी के चलते भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी। भारत की मांग के बाद उसे अमेरिका में गिरफ्तार किया गया।
डेविड हेडली का दोस्त है तहव्वुर
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि तहव्वुर इस हमले के मास्टर माइंड डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है और उसे पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर इस मिशन पर काम कर रहा है। हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था।
राणा था पूरी साजिश का हिस्सा
राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है? उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राणा इस पूरी साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी आशंका है कि उसने आतंकी हमले को फंडिंग देने का अपराध किया है।
आतंकियों को दिलाना चाहता था निशान-ए-हैदर
कोर्ट की तरफ से जारी किए गए प्रत्यर्पण के ऑर्डर के मुताबिक, इस हमले का एक सह आरोपी राणा से दुबई में मिला था। २५ दिसंबर २००८ को उसने हेडली को एक मेल लिखकर पूछा कि राणा वैâसा है? वो घबराया हुआ है या रिलैक्स्ड है? अगले दिन हेडली ने जवाब दिया था कि राणा एकदम बेफिक्र है और मुझे भी समझा रहा है कि मैं न घबराऊं। दस्तावेजों के मुताबिक, इसके बाद ७ सितंबर २००९ को राणा ने हेडली से कहा था कि मुंबई हमले में मारे जानेवाले ९ आतंकियों को पाकिस्तानी सेना का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए।
तहव्वुर के खिलाफ पर्याप्त सबूत
सरकारी वकील ने कहा कि लश्करे-तैयबा के हमले में १६६ लोग मारे गए थे, जिसमें ६ अमेरिकी लोग शामिल थे। आतंकियों ने हत्या करने की मंशा से ऐसे काम किए, जिससे लोगों की मौत हुई, या कम से कम आतंकियों को अपने एक्शन से जुड़े खतरों की जानकारी तो रही होगी। ऐसे में पुख्ता प्रमाण है कि ये केस मर्डर के सभी पैमानों को पूरा करता है।
जज ने राणा के वकील को फटकारा
हालांकि, तहव्वुर के वकील ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए प्रत्यर्पण का विरोध किया। इस पर जज ने कहा कि भारत ने राणा पर केस दर्ज किया है और उसके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया गया है, इसी आधार पर अमेरिका में कार्रवाई हो रही है। राणा पर लगाए गए आरोपों में युद्ध छेड़ने और मर्डर करने की साजिश रचने, धोखा देने के इरादे से जालसाजी करना, आतंकी गतिविधि को अंजाम देने जैसे मामले शामिल हैं। जज ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि हुई है। राणा का भारत प्रत्यर्पण इसी संधि के तहत किया जाएगा।

 

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