वित्त विशेषज्ञ
उद्योगपति रतन टाटा के निधन से भारत ने एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया, जिसने न केवल व्यापार जगत में उच्चतम नैतिकता की मिसाल कायम की, बल्कि ट्रस्ट और विश्वास के आधार पर समाज को नई दिशा दी। रतन टाटा का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो व्यापार को एक मिशन मानते हैं और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।
टाटा परिवार में अब कोई शादीशुदा सदस्य नहीं हैं और निकट भविष्य में टाटा समूह का विशाल कारोबार ट्रस्ट के माध्यम से संचालित होगा। यह एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहाँ व्यक्तिगत उत्तराधिकार की बजाय ट्रस्ट के माध्यम से व्यवसाय का संचालन होगा, जो समाज के प्रति समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में टाटा संस के माध्यम से भारत में विश्वास की नींव रखी, जो अब ट्रस्ट के माध्यम से संचालित होकर लाखों लोगों की भलाई में निरंतर योगदान देगा।
यह परंपरा बताती है कि ट्रस्ट केवल एक कानूनी ढांचा नहीं है, बल्कि यह समाज में विश्वास, ईमानदारी और सेवा की भावना को जीवित रखने का माध्यम है। रतन टाटा ने ट्रस्ट और विश्वास को अपने कार्यों के जरिए इतना मजबूत किया कि आने वाले वर्षों में टाटा समूह का कारोबार इसी आधार पर फलता-फूलता रहेगा।