मुख्यपृष्ठस्तंभरौबीलो राजस्थान : जींवतो लेखक मरि‌योड़ो लेखक

रौबीलो राजस्थान : जींवतो लेखक मरि‌योड़ो लेखक

बुलाकी शर्मा
राजस्थान

मोबाइल री घंटी बाजी। कवि धाकड़ साब हा। कान रै लगावतां ई बांरी आवाज गूंजी, ‘अरे भाईड़ा, तबीयत तो ठीक है नीं थारी?’
‘बिल्कुल चकाचक हूं धाकड़ साब।’
‘फेर इत्ता दिनां सूं कठैई निजर कियां कोनी आयो? ना किसी साहित्यिक गोष्ठियां में, ना वाट्सअप ग्रुपां में, ना फेसबुक माथै अर ना ही…’
बोलता बे रुकग्या जणै म्हैं पूछ्यो, ‘ना ही… मतलब…!’
‘वैâ ना अखबारां‌ रै शोक संदेश कॉलम में थारो फोटू देख्यो।’
साहित्य क्षेत्र में दाखलो बां रिटायर हुयां पछै लियो है पण उमर रै सायरै आवतै ही बे सीनियर लेखक बणग्या है। साहित्य में आवण रै साथै ई उपनाम धाकड़ थरप लियो। धाकड़ मतलब टॉप। सरकारी महकमै सूं अ‍ेक अफसर रूप रिटायर हु‌या जणै साहित्य में ई अफसरी रो ठरको देखावै। बै खुद नै जनमना लेखक मानै वैâ सरकारी महकमै में कहाणी-कविता लिखण नै फुरसत कोनी मिली पण फाइलां में टिप्पणियां लिखनै लेखन-कर्म जारी राख्यो। खुद नै अफसर-लेखक मानता थकां दूजा लेखकां नै तूंकारै सूं बतळावै अर दूजा बां नै साब वैâयनै।
बां रो तूंकारो सहन करतो आयो हूं पण जद बां म्हारै मरण री बात करी जणा तीखै सुर में बोल्यो, ‘म्हारो फोटू शोक संदेश में सोधण लाग रैया हो? उमर में थांसूं छोटो हूं म्हैं, समझग्या नीं?’
डरावणी हंसी साथै बां रा बोल सुणीज्या, ‘सदीक साब रा अ‍े बोल थारै माथै फिट बैठ रैया है भाईड़ा- साची-साची वैâवूं तद लागै डाम सा।’
म्हारो सुर आकरो हुयग्यो, ‘म्हनैं मरियोड़ो मान रैया हो थे, म्हारै जींवतै थकांई?
‘साहित्यिक हलवैâ में जिको दीखै बो ही जींवतो मानीज्या करै भाईड़ा। म्हांनै देख सगळै निजर आवां। अखबारां में रोजीना नांव छपै… इनै वैâवै जींवतो अर चावो लेखक।’
बां रै तरकां रै तीरां सूं बिंधीजग्यो। बचाव करतो बोल्यो, ‘अबार अ‍ेक क्लासिक उपन्यास माथै काम कर रैयो हूं साब।’
‘तूळी लगा थारै क्लासिक उपन्यास रै। लिखण में म्हे किसा लारै हां। चाळीस सालां में तूं चार किताबां लिखी अर म्हे चार बरसां में चाळीस… कर सवैâ म्हांरी बरोबरी? तूं पैला लिखै, फेर बार-बार जांचै-परखै, सुधार करतो रैवै… आपां इसी मूरखता कोनी करां जणै लिखण रै साथै पूरा अ‍ेक्टिव रैवां। जे तन्नै लेखक रूप जींवतो दीखणो है तो रोजीना कठै नीं कठै थारो नांव अर फोटू दीखणो चाइजै, नीं जणै साहित्यिक हलवैâ में तूं मरियोड़ो ई मानीजसी।’
धाकड़ साब धाकड़ राय देय’र फोन काट दियो।

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