धीरेंद्र उपाध्याय
हैदराबाद में रहनेवाले ८० साल के सीवी शास्री और ७५ साल की उनकी पत्नी भाग्यलक्ष्मी पिछले १५ सालों से घुटने के असहनीय दर्द को झेलते आ रहे थे। बीच में उनका दर्द इतना बढ़ जाता कि दंपति बिलख पड़ते थे। इस दर्द के कारण उनका चलना-फिरना और दैनिक कार्य करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। दादा-दादी के उम्र के इस दंपति ने घुटने के दर्द को अलविदा कहने के लिए कई चिकित्सकों को दिखाया। उन्होंने काफी समय तक इलाज कराया, लेकिन दर्द था कि कम होने का नाम नहीं ले रहा था। इस तरह देखते-देखते १५ वर्ष बीत गए। इस बीच नई मुंबई के एक बैंक में कार्यरत उनके बेटे सीएम विजयकुमार से मां-बाप का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने माता-पिता का इलाज नई मुंबई के मेडिकवर अस्पताल में कराने का पैâसला किया। साथ ही वह अस्पताल में उन्हें लेकर पहुंच गया। अस्पताल में कार्यरत ऑर्थोपेडिक्स व कंसल्टेंट ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. दीपक गौतम ने दंपति का एक्सरे निकलवाया। उसमें पता चला कि उनके घुटने पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। उम्रदराज होने के कारण सर्जरी करना काफी उनके लिए जोखिम भरा था, लेकिन फिर भी डॉ. दीपक ने रिस्क लेते हुए दोनों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए टोटल नी रिप्लेसमेंट करने का फैसला किया। उन्हें सबसे चौंकानेवाली बात यह लगी कि दोनों की उम्र ८० और ७० के बीच थी। इसके बावजूद उनका रक्तचाप और शर्करा का स्तर नियंत्रण में था। इसलिए एनेस्थेटिस्ट को अपना कार्य करने में अधिक सहायता मिली। एनेस्थीसिया एक जोखिम भरा काम होता है। मरीज को सुलाना, शरीर के कुछ हिस्सों को सुन्न करके सर्जरी के साथ आगे बढ़ना होता है। हालांकि, मूल तरीके से काम करनेवाली सभी चीजों को वापस लाने की पूरी जिम्मेदारी ही असली चुनौती एनेस्थेटिस्ट को होती है। इन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए अस्पताल में उन पर टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई है। सर्जरी के बाद अब पति और पत्नी दोनों का दर्द कम हो गया है। इतना ही नहीं, बल्कि अब वे अपने पैरों पर चलने लगे हैं। डॉ. गौतम ने कहा कि दोनों की सेहत में सुधार देखकर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। सर्जरी के अगले दिन दंपति दर्द मुक्त होकर फिर से अपने पैरों पर चलने लगे। हम इस प्यारे जोड़े को आगे दर्दमुक्त जीवन बिताने की कामना करते हैं। दंपति को ठीक करने के लिए हम हमारी एनेस्थीसिया टीम, आईसीयू टीम, नर्सिंग स्टाफ और फिजियोथेरपी टीम का आभार व्यक्त करते हैं। सलाहकार एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. जयश्री वेंकटेशन ने कहा कि वृद्धावस्था में सर्जरियां अत्यधिक जोखिम पैदा करती हैं, क्योंकि मरीजों में कई बीमारियां होती हैं। लगभग हर अंग की कार्यक्षमता कम हो जाता है। ऑपरेशन के बाद दर्द, उपचार और पुनर्वास प्रमुख चिंता का विषय होते हैं। फिलहाल, इन मरीजों ने एनेस्थीसिया को अच्छी तरह से सहन किया और ठीक हो गए। दंपति के बेटे सीएम विजयकुमार ने कहा कि घुटने के दर्द के कारण पिछले कई वर्षों से मेरे माता-पिता परेशान थे। उन्हें चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। कई डॉक्टरों की सलाह ली, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। सोशल मीडिया के माध्यम से मेडिकवर अस्पताल के बारे में सुना। इसके बाद माता-पिता का इलाज करने के लिए में उन्हें हैदराबाद से मुंबई लेकर आया। मेडिकवर अस्पताल में दोनों का तुरंत इलाज किया गया। मरीज सीवी शास्त्री ने कहा कि असहनीय दर्द के कारण हम काफी चिंतित थे। लेकिन हमारा बेटा हमें इलाज के लिए मुंबई लेकर आया। डॉक्टरों द्वारा तुरंत इलाज करने के कारण मुझे नई जिंदगी मिली है। अब हम पहले की तरह अपनी दैनिक गतिविधियां करने लगे हैं।