धीरेंद्र उपाध्याय
कैंसर की जंग हर किसी की जिंदगी बदल देती है। यह एक ऐसा सफर है, जिसे पार करने के बाद जीवन की अहमियत समझ आ जाती है। यह सफर पार करना एक मरीज के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। मरीज के साथ-साथ पूरा परिवार इस वक्त को काफी डर और तनाव के साथ जीता है। जाहिर सी बात है कैंसर का नाम ही किसी को डराने के लिए काफी है। दिल्ली के गाजियाबाद की रहनेवाली ७० साल की सगरूनिस्सा सैयद के कैंसर की कहानी के बारे में आज हम जानेंगे, जिन्होंने कैंसर जैसी घातक बीमारी को मात दी और सभी के लिए एक मिसाल पेश की। यह बात साल २०१३ की है, जब सगरूनिस्सा का मुंह सही तरीके से खुल ही नहीं रहा था, जिसके बारे में उन्होंने अपने परिजनों को बताया। इस समस्या को नजरअंदाज न करते हुए परिजनों ने इस बारे में डॉक्टर से बात करना जरूरी समझा। उन्होंने दिल्ली में देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने उन्हें बायोप्सी और पैट सीटी स्कैन का सुझाव दिया। दोनों जांच कराने के बाद उनके मुंह में कैंसर होने की बात सामने आई। इसके बाद महिला के बड़े बेटे ने इस जानलेवा बीमारी का इलाज मुंबई के टाटा अस्पताल में कराने का फैसला किया। इसके बाद वे सगरूनिस्सा को लेकर मुंबई पहुंच गए। बुजुर्ग महिला का इलाज टाटा अस्पताल में शुरू हुआ। करीब एक से दो महीने तक चली तमाम जांच के बाद कैंसर की पुष्टि होने के तीन से चार सप्ताह में महिला के मुंह की सर्जरी कर दी गई। सर्जरी के दौरान महिला के मुंह पर १०८ टांके लगे थे। इस दौरान महिला के मुंह की प्लास्टिक सर्जरी भी की गई। इसके बाद रेडिएशन और कीमोथेरेपी शुरू की गई। अपने कैंसर के सफर के बारे में बुजुर्ग के बेटे ने बताया कि इलाज के दौरान कीमोथेरेपी का दर्द शायद एक मरीज के अलावा कोई नहीं समझ सकता है। कीमोथेरेपी का दर्द उनके लिए बयां करना बेहद मुश्किल है। इसके चलते सगरूनिस्सा का स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया। वह अपने परिवार के चेहरे से उस मायूसी को हटाना चाहती थी और उस पहले जैसे खुशनुमा महौल को लाना चाहती थीं, जिसमें वक्त रहते वे कामयाब हुईं। आज सगरूनिस्सा स्वस्थ रूप से वापस अपने परिवार के साथ हैं। इस बीच उन्हें तीन-तीन महीने बाद मुंबई आकर डॉक्टरों को दिखाना पड़ता था। हालांकि, सगरूनिस्सा ने इस जानलेवा बीमारी को मात दे दी। फिलहाल, बीते १३ सालों से उनका इलाज शुरू है।
माउथ कैंसर का इलाज संभव है
मरीज के बेटे ने बताया कि चिकित्सकों का कहना है कि ओरल कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है। यह कैंसर मुंह में कभी भी हो सकता है। ये ज्यादातर गाल और मसूड़े में होते हैं। इस पर डॉक्टरों का कहना है कि माउथ वैंâसर इलाज लायक बीमारी है। अगर हम इसका ध्यान रखें तो समय रहते इसकी रोकथाम की जा सकती है। डॉक्टर बताते हैं कि भारत में ७० प्रतिशत लोग एडवांस स्टेज में डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। ऐसे में इलाज बहुत ज्यादा होता है और ठीक होने की संभावना भी कम होती है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करें और शुरुआती स्टेज में डॉक्टर के पास जाएं। मुंह का कैंसर तब होता है, जब शरीर में अनुवांशिक परिवर्तन के कारण कोशिकाएं बिना नियंत्रण के बढ़ती हैं। जैसे-जैसे ये कोशिकाएं बढ़ती हैं, तो ये एक ट्यूमर बनाती हैं। समय के साथ ये कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाती हैं। मुंह के कैंसर का लगभग ९० प्रतिशत स्रोत स्कवैमस सेल कार्सिनोमा है।