धीरेंद्र उपाध्याय
मुंबई निवासी ९६ वर्षीय दादा बाबूलाल कडाकिया को कम दिखने लगा था। उन्होंने कई चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन हर जगह से उन्हें केवल निराशा ही मिली, क्योंकि दवाई के बावजूद उन्हें ठीक से नहीं दिखाई दे रहा था। जैसे-जैसे दिन बीतते गए उनकी आंखें खराब होती चली गर्इं। ऐसे मामलों में लक्षणों के आधार पर बीमारी के मूल या सटीक कारण की पहचान करने के लिए गहन जांच की आवश्यकता होती है, लेकिन चिकित्सक बीमारी को पकड़ ही नहीं पा रहे थे। वहीं उम्र के अंतिम पड़ाव में होने के चलते वे दुनिया देखने की उम्मीद छोड़ चुके थे। इसके बाद परिजन दादा को मुंबई सेंट्रल स्थित वॉक हार्ट अस्पताल में ले गए। शुरुआत में मरीज की आंखों की जांच की गई और एमआरआई स्वैâन की आवश्यकता पड़ी। इस जांच के बाद पता चला कि बाबूलाल कडाकिया ऑप्टिक तंत्रिका पर पिट्यूटरी ट्यूमर के कारण दृश्य हानि से पीड़ित थे।
एमआरआई स्वैâन से अब पता चला कि बाबूलाल कडाकिया की दृष्टि हानि किसी सामान्य समस्या से संबंधित नहीं थी, बल्कि यह मस्तिष्क की एक गंभीर स्थिति के कारण था। दूसरी तरफ मरीज में हृदय संबंधी जटिलताओं का इतिहास था, जिसमें पहले लगाए गए दो स्टेंट भी शामिल थे। इसके अलावा मरीज को रक्त पतला करनेवाली दवाएं दी जा रही थीं। इससे सर्जिकल योजना में जटिलताएं बढ़ गर्इं। रीढ़ और मस्तिष्क सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. माजदा तुरेल ने बाबूलाल कडाकिया की उम्र में सर्जरी के जोखिमों और लाभों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया। इसमें पाया गया कि मरीज को अनेस्थीसिया और आईसीयू में लंबे समय तक रहने से संभावित संक्रमण के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। मरीज की पहले से मौजूद हृदय की स्थिति और रक्त को पतला करनेवाली दवाओं के उपयोग ने भी सर्जरी में कई अन्य चुनौतियां पेश कीं। डॉ. तुरेल ने कहा कि मरीज की बढ़ती उम्र और हृदय की स्थिति को देखते हुए सर्जरी करने का निर्णय टालने की कोशिश की गई। हालांकि, इस मामले में सर्जरी आवश्यक हो गई थी। इसके चलते मरीज के ऑप्टिक तंत्रिका के आकार में पैâल रहे जटिल पिट्यूटरी ट्यूमर को हटाने के लिए सफल सर्जरी की गई। इससे रोगी को फिर से निगाहें मिल गर्इं। सर्जरी के बाद स्थिति सुधरते ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। बाबूलाल कडाकिया का यह मामला सटीक निदान के महत्व पर प्रकाश डालता है। इस सफल उपचार ने दृश्य हानि की समस्या से निपटने के दौरान विशेषज्ञों द्वारा मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं की गहन जांच की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्जरी के बाद भी बाबूलाल कडाकिया की निगरानी की जाती रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्यूमर दोबारा न हो।