धीरेंद्र उपाध्याय
सड़क हादसा होना एक सामान्य बात होती जा रही है। बढ़ते ट्रैफिक के दबाव और कई बार लापरवाही के चलते ही हम हादसे का शिकार हो जाते हैं। वैसे तो हमें एक्सीडेंट से बचने के लिए ड्राइविंग के दौरान चौकन्ना रहना चाहिए लेकिन फिर भी कई बार ऐसा देखने में आया है कि दूसरों की गलती के चलते भी दुर्घटना हो जाती है। ऐसे ही एक हादसे का शिकार ३३ साल की किंजल शाह ने आपबीती साझा करते हुए कहा कि वे ऑफिस का सारा कामकाज निपटाकर घर लौट रही थीं। वे स्टॉप पर बस की प्रतीक्षा कर रही थीं, तभी उनके घर की तरफ जानेवाली बस सामने आकर खड़ी हो गई। वे बस में जैसे ही चढ़ने लगीं अचानक उनका हाथ हैंडल से फिसल गया और वे बस से नीचे गिर गर्इं। उसी समय चालक ने समझदारी दिखाई और धीमी रफ्तार से चल रही बस को तुरंत रोक दिया। हालांकि, तब तक किंजल के दोनों पैरों में गंभीर चोट लग चुकी थी। किंजल की गंभीर स्थिति को देखते हुए लोगों ने उन्हें मीरा रोड के वॉकहार्ट अस्पताल में भर्ती करा दिया। चिकित्सकों ने स्थिति को देखते हुए किंजल को आईसीयू में भर्ती कर दिया। इसके बाद बिना देर किए एमआरआई निकाली गई। एमआरआई में पता चला कि उनकी जांघों और पैरों की त्वचा के साथ ही मांसपेशियां पूरी तरह से कुचल गई थीं। इसके चलते ८०० मिली से अधिक खून बह चुका था। किंजल ने कहा कि बस दुर्घटना के बाद पैर कटने के नाम से ही मेरे मन में अंधेरा छाने लगा था। मेरे दिमाग में यही बात कौंध रही थी कि अब मैं पूरी जिंदगी फिर कभी भी नहीं चल पाऊंगी। यह सोचकर मैं पूरी तरह से सहम गई थी। लेकिन वॉकहार्ट अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी कर दोनों पैरों को बचाकर मेरे जीवन में फिर से उजाला भर दिया है। अब मैं पहले की तरह अपने पैरों पर चल सकती हूं। वॉकहार्ट अस्पताल की सलाहकार प्लास्टिक सर्जन डॉ. श्रद्धा देशपांडे ने कहा कि मरीज को देखकर डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी करके नेक्रोटिक ऊतक को हटा दिया। इस बीच महिला को खून चढ़ाया गया। साथ ही हाई एंटीबायोटिक दवा की खुराक दी गई। दोनों निचले अंगों के पुनर्निर्माण के लिए उसकी तीन सर्जरियां की गर्इं। उन्होंने कहा कि समय रहते महिला को अस्पताल लाने के कारण तुरंत इलाज किया जा सका। सर्जरी के बाद अब महिला की सेहत में सुधार देखकर उसे डिस्चार्ज दे दिया गया। उन्होंने कहा कि डीग्लोविंग चोट एक दर्दनाक चोट है, जिसके कारण त्वचा और ऊतक की ऊपरी परतें अंतर्निहित मांसपेशी, संयोजी ऊतक या हड्डी से अलग हो जाती हैं। वे आमतौर पर पैरों को प्रभावित करते हैं और अक्सर अंतर्निहित प्रैâक्चर से जुड़े होते हैं। खून की हानि छिपी रहती है और ऐसे मामलों में ऊतक क्षति बाहर से दिखाई देनेवाली क्षति से कहीं अधिक होती है। ऐसी चोटें दुर्लभ होती हैं और यदि समय पर पहचान न की जाए तो गंभीर संक्रमण और सेप्सिस होने के साथ ही जान को खतरा हो सकता है।