धीरेंद्र उपाध्याय
गैंग्रीन एक बहुत ही गंभीर और जिंदगी में काफी तकलीफें पैदा करनेवाली स्थिति है। आज के दौर में मधुमेह, हायपरटेंशन और धूम्रपान जैसी जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के बढ़ने की वजह से गैंग्रीन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिस तरह से दिल के दौरे पड़ते हैं उसी तरह से गैंग्रीन भी पैरों की रक्त वाहिकाओं में रुकावट पैदा कर सकती है। इसका इलाज न किए जाने पर एम्प्यूटेशन करवाना पड़ सकता है। इतना ही नहीं अंग को काटने तक की नौबत आ सकती है। ७७ वर्षीय पांडुरंग भी इस गंभीर बीमारी के शिकार हो गए थे। इसके चलते उनका अपने पैरों पर चलना-फिरना बंद हो गया था। पांडुरंग कहते हैं कि वे एक अन्य निजी अस्पताल में दिखा रहे थे। वहां उनके पैर की उंगली कटनी पड़ी। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें किसी तरह से कोई भी आराम नहीं मिलने के बाद परिवार के सदस्य उन्हें आगे का इलाज कराने नई मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में ले गए। अस्पताल में कंसल्टेंट, वैस्कुलर और एंडोवैस्कुलर सर्जन डॉ. पीयूष जैन के नेतृत्व में पांडुरंग के पैरों का इलाज शुरू हुआ। इस बीच की गई जांच में पाया गया कि उनकी कटी हुई उंगुली से लेकर घुटने के ऊपर तक संक्रमण तेजी से पैâलता जा रहा है। उनकी इस स्थिति को देखते हुए उनके पैर की दूसरी अंगुली भी काटनी पड़ी। इसके बाद चिकित्सकों ने पैर के सर्कुलेशन का मूल्यांकन करने के लिए एक एंजियोग्राम किया। इसमें पता चला कि पैर की धमनी में लंबा ब्लॉकेज है। ब्लॉकेज की लंबाई के कारण चिकित्सकों को इलाज का एक मात्र बाईपास सर्जरी ही करना उचित लगा, क्योंकि स्टेंट की तुलना में बाईपास सर्जरी अधिक व्यवहार्य और प्रभावी समाधान है। इसके बाद घुटने के नीचे का बाईपास किया। इस तरह से नई मुंबई में यह अपनी तरह की पहली सर्जरी है। डॉ. पीयूष जैन ने कहा कि यह मैराथन सर्जरी छह घंटे चली। उनकी टीम ने इस जटिल प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही सावधानीपूर्वक काम किया। मरीज में बहुत ही बेहतरीन सुधार हुआ और केवल २-३ दिनों में ही वह फिर से चलने-फिरने में सक्षम हो गए। सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों में ही वह चलने-फिरने लगे थे। उन्होंने कहा कि तीन महीनों में उनका जख्म पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, हिंदुस्थान में मधुमेह के मरीजों की संख्या साल २०१९ में ७० मिलियन थी, वह अब बढ़कर १०१ मिलियन हो गई है। मरीज की बेटी पूजा नायक ने कहा, `मेरे पिता के पैर के अंगूठे में संक्रमण हो गया था। ऐसे में हमें डर था कि वे अपना पैर खो देंगे। इसके बाद हम बहुत उम्मीद लेकर कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में पहुंचे थे। हालांकि, डॉक्टरों के प्रयास से अब वे फिर से चल सकेंगे। मेरे पिता के लिए यह किसी चमत्कारी रिकवरी से कम नहीं है।’