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उम्मीद की किरण : १३० किलो वजन, जीना हुआ दुश्वार, महिला ने छोड़ी जीने की आस!

धीरेंद्र उपाध्याय

– डॉक्टरों ने जगाई उम्मीद
-छह महीने में घटाया ४० किलो वजन

मुंबई की निवासी आएशा खान (बदला हुआ नाम) बढ़ते वजन के कारण परेशान थी। आएशा को उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या थी। उसे ३८ वर्ष की आयु में हृदयसंबंधी रोग का पता चला था। वजन बढ़ने के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसका वजन जब १२५ किलोग्राम से अधिक हो गया, तो उसके लिए लेटना असंभव हो गया। उसे सांस लेने के लिए पूरी रात बैठना पड़ता था और चंद कदम चलने में भी सांस फूल जाती थी। कई बार ऐसा होता था कि वह अपने परिवार के साथ बातचीत करते-करते हांफने लगती थी। इस बीच उसका वजन बढ़कर १३० किलो पर पहुंच गया। इससे उसका जीवन दुश्वार हो गया था। वह पूरी तरह से परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर हो चुकी थी। मोटापे से महिला इस कदर परेशान हो चुकी थी कि उसने जीने की आस ही छोड़ दी थी। दूसरी तरफ उसकी बिगड़ती हालत को देखकर परिवारवालों ने उसे एक चिकित्सक को दिखाया, जिसने महिला का बैरिएट्रिक सर्जरी कराने की सलाह दी। साथ ही उसने महिला में जीने की चाह भी जगाई। इसके बाद परिवार वालों ने मुंबई के एक प्रसिद्ध अस्पताल में बैरिएट्रिक सर्जरी कराने का फैसला किया। संबंधित अस्पताल में जब महिला को ले जाया गया तो बढ़े वजन के साथ ही उसका बीएमआई ६३.८ था। वह कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी जूझ रही थी। इस बीच सोने के बाद उसके खून में कार्बन डाइऑक्साइड के खतरनाक स्तर का पता चला। मोटापे और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के अलावा ही महिला मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से भी जूझ रही थी। चार साल पहले उसे किडनी से संबंधित जटिलताओं का भी सामना करना पड़ा था। fिचकित्सकों को सबसे ज्यादा झटका इस बात से लगा कि वह सिर्फ ४२ साल की थी। उसके आगे एक लंबी जिंदगी थी। मरीज का जैसे-जैसे वजन बढ़ता है उसके मेडिकल जोखिम भी बढ़ते हैं। इससे सर्जरी से पहले उसके स्वास्थ्य को अनुकूलित करना जरूरी हो जाता है, ताकि पोस्ट-ऑपरेटिव जटिलताओं की संभावना को कम किया जा सके। अस्पताल की न्युट्रिशनिस्ट ने लगभग तीन सप्ताह तक महिला को कम वैâलोरी, उच्च प्रोटीन वाला आहार दिया, जिससे आएशा को सर्जरी से पहले ६ से ८ किलो वजन कम करने में मदद मिली। इस आहार परिवर्तन ने उसके लीवर के आकार को कम करने में भी योगदान दिया, जो शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के लिए फायदेमंद है। इसके बाद आएशा ने गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी करवाई, जिसमें एक छोटा पेट थैली बनाया गया और छोटी आंतों को इस थैली से जोड़ने के लिए फिर से जोड़ा गया। पेट के शेष हिस्से और आंतों के पहले हिस्से को बाईपास किया गया। इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण हार्मोनल परिवर्तन हुए, जिससे भूख कम हो गई और भोजन का सेवन सीमित हो गया। पिछले छह महीनों में उसने ४० किलो वजन कम किया है और अगले ६ से ८ महीनों में और अधिक वजन कम करने की उम्मीद है। वर्तमान में वह मधुमेह के लिए कोई दवा नहीं ले रही है और उसके रक्तचाप के लिए दवाओं की संख्या कम हो गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह चल सकती है और सांस ले सकती है।

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