बेरंग-सी जिंदगी में आज, फिर से रंग भर दो।
अस्त-व्यस्त हुए जीवन को, फिर ढंग से कर दो।।
नई उमंगों और नई तरंगों से।
संजा दो फिर एक बार नए रंगों से।।
बेरंग सी जिंदगी में…।
ऊंच-नीच का भेदभाव मिटा।
लाज शर्म के सब पहरे हटा।।
बेरंग-सी जिंदगी में…।
छोटे-बड़े का फर्क भुल के।
आज फिर से रंग लगा दे मिल के।।
बेरंग सी जिंदगी में…।
जिंदगी बहुत छोटी है, इसे जी भर के जी ले।
कल फिर हम तुम मिले या न मिले।।
बेरंग सी जिंदगी में…।
सप्तरंगी रंगों के इंद्र धनुष से
फिर आज अपने आप को संजा ले।।
बेरंग सी जिंदगी में…।
जी भर कर आज रंग लगा ले।
सारे गिले-शिकवे अब भुला के।।
बेरंग सी जिंदगी में…।
अस्त-व्यस्त हुए जीवन को, फिर ढंग से कर दो…।।
-देवेंद्र सिंह राजपुरोहित