गाना गाने वालों आओ।
अपना ढोल मंजीरा लाओ।।
काफी शोर हुआ दिल्ली में।
उसका थोड़ा अंश सुनाओ।।
किसने सारा माल उड़ाया ।
आज इशारे में समझाओ।।
चुप रहने का काम नहीं है।
चुप्पी तोड़ो गाना गाओ।।
भूल गए थे सम्मोहन में।
अब यथार्थ को पास बुलाओ।।
संकेतों में बात करो तुम।
गरम गरम मौसम गरमाओ।।
रात अंधेरी बोल रही है।
जागो और सवेरा लाओ।।
अंधापन से करो दुश्मनी।
अपने भीतर दीप जलाओ।।
राह भटकने से अच्छा है।
खड़े-खड़े तुम हाथ हिलाओ।।
दार्इं तरफ हांफनेवालों।
बाएं मुड़कर दौड़ लगाओ।।
बाहों को ऊपर पैâलाकर।
खुली हवा में जश्न मनाओ।।
खूब प्रदूषण झेल रहे हो।
जल्दी निकलो बाहर आओ।।
एक साथ सब बड़े जोर से।
आजादी का ढोल बजाओ।।
-अन्वेषी