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पाठकों की रचनाएं : जिंदगी जीते रहिए…

बेफिक्री से जिंदगी जीते रहिए
न जाने कब जीवन का
विराट पहिया घूम जाएगा
वर्तमान तो निश्चित है हमारा,
आनेवाले कल के लिए
क्यूं आज को काला करते रहें!
खुश रहें खुशमिजाज बनें,
स्वर्णिम भविष्य के लिए
परिश्रम उतना ही करें,
जिससे आज की खुशियां
बलिदान ना होने पाएं!
क्षणभंगुर-सा है जीवन मानव का
भरोसा नहीं आनेवाले पल का
फिर भी समान इकठ्ठा कर रहा
सदियों के लिए आज की अपनी
खुशियों की कीमत पर इंसान!
विराट जगत में हैसियत
कुछ भी नहीं माटी के तन की
पल भर में जीवन विदा हो जाएगा,
आया नहीं यहां कोई
युग युगांतर के लिए!
जो पाया यहीं का था,
जो छूट जाएगा यहीं का होगा
फिर क्यूं न बेफिक्री से
आज की खुशियों के साथ
जीवन को भरपूर जिया जाए!
– मुनीष भाटिया, कुरुक्षेत्र

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