मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनापाठकों की रचनाएं : कविता आज सुनाने आया हूं

पाठकों की रचनाएं : कविता आज सुनाने आया हूं

कविता आज सुनाने आया।
अपना मन बहलाने आया।।
दुख दर्दों से भरे हृदय को।
कुछ राहत पहुंचाने आया।।
देश हमारा कहां जा रहा।
इस पर बात चलाने आया।।
सत्य बताकर सब लोगों को।
कवि का धर्म निभाने आया।।
जागो अथवा चलो साथ में।
मैं तो बिगुल बजाने आया।।
सारा मौसम बिगड़ गया है।
तुमको यही सुनाने आया।।
दूषित है आधार हमारा।
अधिरचना समझाने आया।।
बेमौसम बातें होती हैं।
मैं तो बात बनाने आया।।
वर्तमान की कथा सुनाकर।
सोया शेर जगाने आया।।
जागरूक को गति आ जाए।
ऐसी दवा पिलाने आया।।
सोए अथवा भटक गए जो।
उनको राह दिखाने आया।।
पर्यावरण प्रदूषण वाली।
सारी बात बताने आया।।
पूंजीवादी लोकतंत्र की।
निर्मम कथा सुनाने आया।।
कविता के जलते मशाल को।
थोड़ा और बढ़ाने आया।।
रोशन हो यह देश हमारा।
यही राग मैं गाने आया।।
छोटा-सा अरमान यही है।
बिगड़ा देश बनाने आया।।
ईश्वर अल्ला बिछुड़ गए हैं।
उनको आज मिलाने आया।।
दिल में थोड़ी आग जल रही।
उसकी तपन बुझाने आया।।
संयमपूर्वक आगे बढ़कर।
अपना देश बचाने आया।।
-अन्वेषी

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