मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनापाठकों की पाती : सरकार की तानाशाही फिर उजागर

पाठकों की पाती : सरकार की तानाशाही फिर उजागर

सरकार की तानाशाही फिर उजागर
केंद्र सरकार की तानाशाही फिर एक बार सबके सामने आई है। इस बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक बंद करके सरकार ने अपनी तानाशाही का परिचय दिया है। ‘दोपहर का सामना’ में इस खबर को पढ़ने के बाद मुझे भी लगा कि यह गलत है। एक बड़े राष्ट्रीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं होना चाहिए। हालांकि, इस घटना के बाद आईएनडीआईए (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी संगठन) ने विरोध जताते हुए संसद से वॉकआउट कर दिया, लेकिन मेरा मानना है कि इस तानाशाही के खिलाफ संपूर्ण देश में विरोध प्रकट होना चाहिए।
– मुरली पिल्लै, चेंबूर

यहां भी ठेका? यह भाजपा की चाल होगी!
‘दोपहर का सामना’ में एक खबर पढ़कर बड़ा विचित्र लगा। खबर के अनुसार, मुंबई में पुलिस बल की कमी को दूर करने के लिए तीन हजार पुलिसकर्मियों की ठेका पद्धति से भर्ती करने का निर्णय गृह विभाग ने लिया है। राज्य के सुरक्षा महामंडल द्वारा ठेका पद्धति से अधिक से अधिक ११ महीने के लिए यह भर्ती करने का निर्णय किया गया है। मुंबई पुलिस में तीन हजार पद ठेका पद्धति से भरने का पैâसला किया गया है। इस ठेका के पैâसले पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेसी विधायक भाई जगताप और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक रोहित पवार ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शायद सरकार का दिमाग ठिकाने पर नहीं है। उन्होंने इस बिगड़ी कानून-व्यवस्था को पूरी तरह से खराब करने की भाजपा की चाल बताया है। मेरे हिसाब से यह सही कहा है।
मिलिंद यादव, असल्फा

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