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पाठकों की पाती : हे भगवान! विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई

हे भगवान! विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई
महाराष्ट्र की सरकार विकास के नाम पर कुछ भी कर रही है. कभी ब्यूटिफिकेशन के नाम पर दीवार रंग रही है तो कभी स्ट्रीट लाइट पोल पर रंगीन लाइट लगा रही है. अब तो हद ही हो गई जब सड़क निर्माण के नाम पर प्रभादेवी में कई सालों पुराने हरे-भरे वृक्षों को काट डाला गया। दोपहर का सामना ने इस कटे वृक्ष की फोटो के साथ खबर प्रकाशित की है। इसमें लिखा गया है की वृक्ष का कत्ल किया गया है, जो बिल्कुल सही है. विकास के नाम पर यह वृक्ष की हत्या की गई है. माना कि बांद्रा -वर्ली सी लिंक से ट्रांस-हार्बर लिंक को जोड़ने से भविष्य में आवागमन आसान और सुविधाजनक होगा। किंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि प्राचीन और हरे भरे वृक्षों को काट डाला जाए। ऐसे न जाने कितने वृक्षों को काट डाला गया होगा। यह विकास नहीं है, बल्कि भविष्य में किसी प्राकृतिक आपदा को आमंत्रण है।
अशोक राय, जोगेश्वरी

कब मिलेगा मिल मजदूरों को उनका हक का घर
यह ईडी सरकार मिल मजदूरों को उनके हक का घर देने में आनाकानी कर रही है। परेशान होकर इन मजदूरों को अपना हक का घर पाने के लिए एक आंदोल करने का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। इस बाबत दोपहर का सामना ने २० मई को खबर छापकर मिल मजदूरों के दुःख दर्द को सरकार तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है. ठाणे का राजनोली हो या पनवेल का कोण परिसर, सभी जगह लाभार्थियों के मकान तो बन कर तैयार हैं, लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें हैंडओवर नहीं किया जा रहा है। सरकार के इसी उदासीन रवैये से ये हजारों मिल मजदूर नाराज हैं। वे चाहते हैं कि उनका अपना मकान जल्दी से जल्दी मिल जाए, लेकिन वे काफी समय से सिर्फ इंतजार में ही लगे हुए हैं। अपने आपको गतिमान कहने वाली यह सरकार कब जागेगी यह देखना होगा।
माधव गिरी, डोंबिवली

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