थोड़ा तो अब समझा करो
मेरी हालत-ए-रिसेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
तुम इंस्टा की सुंदरता हो
मैं वही पुराना फेसबुकिया हूं
तुम कड़क नोट बीस की हो
मैं सिक्का-ए-दो रूपया हूं
तुम नई नोट के माफिक हो
मैं बंद नोट ऐंसीयंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
तुम खरगोश-सी चंचल हो
मैं तो मन से टर्टल हूं
तुम एग्रीमेंट हो लिखी हुई
मैं हर शर्त इन वर्बल हूं
तुमपर ही जा अटका है
मेरा जिद्दी सेंटीमेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
मैं तो डिजिटल प्रपोजी हूं
तुम केयर वाली इमोजी हो
मैं तुम्हारे माफिक चलता हूं
तुम तो वेरी मनमौजी हो
तुमने क्या व्हाट्सप्प चेक किया?
मैं हर्ट दिया हूं सेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
किस्तों में मोहब्बत करते हो
मैं फुल टाइम का आदी हूं
तुम रेशम सी कोमल ठहरी
मैं तन और मन से खादी हूं
गर लोन पर दिल दे दो अपना
तो कर दूं डाउनपेमेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
तुम फर्स्ट डिवीजन कला निष्णात
बैठती थी बेंच पर सर्वदा फ्रंट
मैं जैसे-तैसे पास हुआ हूं
था बैक बेंचर घोघा बसंत
मैं तैंतीस परसेंटी मुश्किल से पास
तुम पास विथ सेंट परसेंट डियर
मैं अब भी डेली वेजेज पर हूं
कर दो ना परमानेंट डियर
-सिद्धार्थ गोरखपुरी, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश