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शनिवार के अंक में नमस्ते सामना में प्रकाशित पाठकों की रचनाएं

बाबा साहेब तुम्हें प्रणाम
भीमराव आंबेडकर जी बाबा साहेब तुम्हें प्रणाम।
भारत की पावन गाथा में अमर तुम्हारा नाम।।
१८८१ के चौदह अप्रैल को जन्म लियो
माह दिसम्बर १९५६ को देश से विदा लिए
ऐसे कर्मवीर नायक को कोटि-कोटि प्रणाम है
जय हिंद जय भारत का करते सब गुणगान है।
दलित समाज सुधारक को बाबासाहेब कहते है।
जलते दीपक बनकर सदा हमारे दिल में रहते है।।
देश के लिए जिन्होंने विलाश को ठुकराया था।
गिरे हुए को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था।
जिसने हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था।
देश का अनमोल दिपक जो बाबा साहब कहलाया।
पैदा कब मजहब होते हैं वो तो माने जाते हैं।
धर्म कौनसा हम मानेंगे ,दिल के भाव बताते हैं।।
धर्म-जाति रोड़े गर बनते हमको उन्हें हटाना है।
लिखी हमेशा किस्मत जाती ये समझाना है ।।
पथ खुद चुन के लोगों चलें उसी पर इठलाएं।
बाबा साहब के कदमों का करें अनुसरण सुख पाएं।
-ओमप्रकाश
मेरोठा

भारत के
संविधान की!
भारत के संविधान की कि थी जिसने रचना
ऐसे वीर की सोच से हर बुराई को है बचना
अच्छी सोच के आड़े जो कोई भी आता है
फिर सही पथ पर ही निकल जाता है।
बताया सबने मगर इन्होने दिखाया करके
बढ़ चले वो आगे फिर सब जातियों को एक करके
ना मोह का बंधन ना थी जिसमें लालच की आग
निडर होकर लिया जिन्होंने हर परिस्थिति में भाग।
जो बरसे अंगारे या बरसी शब्दों की मार
चुप न बैठे वो कभी मान कर अपनी हार
ऐसे वीर युगों-युगों में एक ही आते
प्रदर्शन कर अपने गुणों को अनोखा इतिहास रचाते है
मेरी तुम्हारी कुछ नहीं उन्होंने समझा हमारा
कुछ ना लिया तुमसे फिर भी कर दिया सब कुछ तुम्हारा
जाति-धर्म की लड़ाई में बंट गया था ये भारत देश हमारा
अपने जीवन की ऊर्जा से सबका जीवन था संवारा
सहते वो कब तक सबकी
जो लगी हवाओं में भेदभाव की झपकी
ओढ़ी उन्होंने फिर बौद्ध धर्म की चादर
सिखाया इस दुनिया को फिर प्यार से आदर
भेदभाव कर आपस में बड़ा तो
कोई कुछ हासिल नहीं कर पाता हैं।
नफरत की आग की ज्वाला
सच्चे धर्म के बीज को जलाता हैं।
– मेहरोत्रा गुप्ता

भारतरत्न
महान के
डॉक्टर आंबेडकर को शत-शत नमन ।
राजनीतिक, दार्शनिक, विधिवेत्ता
जिनके लिए प्यारा वतन
लेखक, पत्रकार, अर्थशास्त्री
संपादक और प्रोफेसर।
वे थे प्रसिद्ध समाज सुधारक
भारतियों पर जिनका गहन असर।
जन्म महू मध्य प्रदेश में
पिता रामजी सकपाल।
प्रिय माता उनकी भिमाबाई ,
देश हुआ जिनसे निहाल।
बचपन संघर्षों में गुजरा,
सहना पड़ा सामाजिक भेदभाव ।
लगन शिक्षा की बड़ी प्रबल
उच्चतम शिक्षा का मिला प्रभाव
आदर्श रहे गौतम बुद्ध
ज्योतिराव फुले और कबीर।
मिटाये सामाजिक भेदभाव
बदली करोड़ों की तक़दीर
भारतीय संविधान के वास्तुकार
समानता के प्रबल पक्षधर।
ऐसे महापुरुष का वंदन
जिनकी कीर्ति है सदा अमर।
चंद्रकांत पांडेय, मुंबई

जन-जन
भाग्य विधाता
भीमराव अंबेडकर बाबा
शत-शत तुम्हें प्रणाम
भारत की पावन गाथा
में अमर तुम्हारा नाम।
माता श्रीमती भीमाबाई
पिता राम मालो सकपाल
चौदह अप्रैल को आया था
उनके घर धरती का लाल
महू छावनी में जन्म स्थल
अम्बाबाड़े ग्राम।
अंग्रेजों की दासता से
भारत को मुक्ति दिलाई
छुआछूत प्रति मु‍खरित वाणी
जागरूकता लाई।
जाति-पांति से किया बराबर
जीवनभर संग्राम।
तुम इतिहास पुरुष,
भारत के संविधान निर्माता
गणतांत्रिक व्यवस्था पोषित
जन-जन भाग्य विधाता।
सभी बराबर हैं समाज में,
प्रिय संदेश ललाम।
– गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’

आओ बैठें सुनें सुनाएं
गीत गजल कविता सब गाएं
ज्ञानदायिनी के चरणों में
सबसे पहले शीश झुकाएं
शुभारंभ गीतों से करके।
थोड़ा सा माहौल बनाएं
फिर हम कविता की भाषा में
दुनिया भर का ज्ञान पिलाएं
मौसम में कुछ गर्मी लाकर।
थोड़ा सा मौसम गरमाएं
बदलाओं का गाना गाकर
जो सोए हैं उन्हें जगाएं
छंद हीन कविता को लाकर
चिंतन में डूबें उतराएं
इसी बीच में गजल घुसाकर
थोड़ी बहुत तरलता लाएं
और ताजगी पानी हो तो
कोई बढ़िया गीत सुनाएं
कवयित्री से बीच बीच में
बड़े प्रेम से पाठ कराएं
कविवर को तो समय चाहिए।
उनको शब्दों से नहलाएं
काव्य पाठ पूरा होने पर
पाँच मिनट हम जश्न मनाएं
अध्यक्षीय भाषण को सुनकर
मन में नूतन भाव जगाएं
सबका ही आभारी बनकर।
राष्ट्रगान को मिलकर गाएं
आगे वाले आवभगत पर।
संयमपूर्वक प्यार लुटाएं
आए हैं तो जाना होगा।
जल्दी जल्दी घर को जाएं
आपस में अपनत्व बांटकर
मन में सबका खैर मनाएं
भाईचारा और प्रेम कां
नाता रिश्ता रोज निभाएं
सबको ही सम्मान चाहिए
इसी भाव को मन में लाएं।
-अन्वेषी

बदल जाएगी जिंदगी
सोचा नहीं था दोस्त बदल जाएगी जिंदगी
गुजरे हुए सफर से निकल जाएगी जिंदगी
चाहत के बादलों को राहत का रंग देकर
आहट में हर किसी के ढल जाएगी जिंदगी।
शोहरत का हाथ छोड़ वो गुमनाम डगर पर
खामोशियों के बर्फ सी गल जाएगी जिंदगी
नींद की आगोश में ख्वाबों के शहर जाके
पाकर किसी यार को मचल जाएगी जिंदगी।
दुश्वारियों के बीच भी फंसकर बार-बार
लहरों पर समंदर के टहल जाएगी जिंदगी।
-डॉ. एम. डी. सिंह

अन्याय नहीं होने देंगे
अन्याय नहीं होने देंगे, शोषण नहीं होने देंगे,
चाहे कुछ भी हो जाए, अत्याचार नहीं होने देंगे।
संस्कृति, सभ्यता महान अपनी, धूमिल नहीं होने देंगे,
भारत की मर्यादा पर आंच नहीं आने देंगे।
वीर शिवाजी की कर्म भूमि है,
वीरांगना लक्ष्मी, महाराणा प्रताप आदर्श हैं।
परम पूज्य बाबा साहेब आंबेडकर का संविधान अमर है,
भारत माता के आंचल पर दाग नहीं लगने देंगे।
सत्य-अहिंसा के आदर्शों पर चलते,
असत्य कभी न टिकने देंगे।
आराधना करते देवी की हम,
नारी सम्मान को ठेस न लगने देंगे,
प्रेम की गंगा बहाते चलेंगे, बहाते चलेंगे।
अनिल महेंद्रू, उल्हासनगर

वृक्ष बचाओ
विश्व बचाओ
शुद्ध हवा का दाता है नीम
अनेक रोगों की दवा है नीम,
जिस घर में है पेड़ नीम का
समझो घर में है वैध-हकीम!
-डॉ. मुकेश गौतम, वरिष्ठ कवि

कोरोना वायरस महामारी
कोरोना महामारी कहां से आई
सांसें छीनने आई बेउम्र मौत आई
ये खौफनाक नजारा दिखाए
बस लाशें ही लाशें गिराए।
हिसाब लगाए तो भी न लग पाए
शमशान घाट में जगह न मिल पाए
जहां मैदान दिखा मृत शरीर वहीं जला
इस बीमारी का कोई इलाज बताओ
कितने अपनों को खोएंगे
कितने और लोग प्राण गवांएगे
सैनिटाइजर मास्क लगाएं दो गज दूर रहें
कारोबार बंद पड़ी-मंदी आन पड़ी
रेल हवाई यात्रा सब ठप पड़ी
मजदूर भूखे प्यासे पलायन करें
कुदरत ने ढाया ऐसा कहर
सारा जीवन थम गया
कुदरत के आगे झुक गया
सबको घर में कैद बना गया
ऑक्सीजन को तरसें-अपनों के
अंतिम दर्शन को तरसें
जीवन छल-छल बिखर जाएं
कोरोना वारियर्स मददगार बन जाते
ज़रूरत का सामान घर पहुचाते
डॉक्टर्स पुलिस बेखूबी अपना फर्ज निभाते
इससे तो जीवन ही बदल गया
तबाही का मंज़र बन गया
कभी मन में ये ख्याल आता
ज़िन्दगी बे-ज़ुबाँ लगती है
अब तो ये इक मेहमान सी लगती है
कोरोना वायरस कब पीछा छुड़ाए
ज़िन्दगी अब खुली साँस लेना चाहे
-अन्नपूर्णा कौल ,नोएड़ा,

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