नौटंकी जो हम घर पर करते हैं
पड़ती हमको करारी डांट
‘वो’ नौटंकी सरे आम करें
मिले है नाम-दाम, खूब है ठाट!
‘नकली को असली’ दिखाते हैं
फिर भी होती उनकी “जय जयकार”
सच में जो हैं देश बचाते उनकी सुनी न जाए पुकार।
ये अजब है ‘इंसाफ का तराजू’ झूठ से जो हमें भरमाता,
हम बढ़ाएं उनकी ‘शान… करें उनका सम्मान’
‘असली हीरो जवान’ जो जीवन में जंग लड़े
उनकी गुम है पहचान। ….चर्चा में वे खूब हैं रहते,
चाहे वो नेता हो, नायक हो, या अभिनेता
‘शराफत का फर्जी मुखौटा’ चेहरे पे चिपका कर
अपनी ‘असली सूरत’ वो हैं छुपाते
फिर भी वो सुर्खियों में रहते, वाह री जनता महान!
एक बार ‘चमकते सितारे’ पीढ़ियां उनकी तर जाती हैं।
जिंदगी घिस रहे जो औरों की ‘जिंदगियों’ के लिए,
एक पीढ़ी तो दूर की बात है, उनकी अपनी ज़िंदगी ही
आखिर सांस तक रेंगते रेंगते ही कट जाती है,
या बीच में ही ‘शहीद’ हो जाती है।
अथक पसीना बहाएं जो हमारे ‘मेहनतकश किसान’
उपजाए हमारे लिए वो ‘अन्न का वरदान’…
उधर सरहद पर डटे हैं जो अपने परिवार से दूर
देश और देशवासियों की रक्षा की खातिर
हमारे बांके वीर वीर-जवान,कब मिलेगी उनको पहचान
कब होगा उनका ‘यश ओ गान’
जय जवान, जय किसान।
अब आप ही तय करो “असली नकली’ कौन?
नैंसी कौर
नई दिल्ली